लेखक – एन के त्रिपाठी
देश में कोविड-१९ के मामले जिस बेतहाशा तरीक़े से बढ़ रहे हैं, उसकी वजह से जनता और नेताओं में दशहत का माहौल होना स्वाभाविक है। इस दहशत के कारण अचानक वैक्सीन की माँग बढ़ गई है। राज्य सरकारों और जनता का ये सोचना है कि वैक्सीन से बढ़ते प्रकरणों पर तत्काल रोक पाई जा सकती है, जो फ़िलहाल पूरी तरह से ग़लतफ़हमी है। फिर भी भविष्य में कोविड-१९ से बचाव के लिए बहुत तेज गति से टीकाकरण की आवश्यकता है।अनेक राज्यों ने और विशेष रूप से महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार पर ज़्यादा वैक्सीन भेजने के लिए दबाव डाला है। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार के सभी दावों को ख़ारिज कर दिया है। इस राष्ट्रीय आपदा के समय केंद्र सरकार का ऐसा रुख़ प्रजातंत्र और देश दोनों के लिए ख़तरनाक हैं।
केंद्र सरकार को सभी राज्यों को वैक्सीन वितरण करने के लिए बनाए गए मापदंड बताने चाहिए। वैक्सीन के उत्पादन और वैक्सीन के वितरण के सभी आंकड़े प्रतिदिन जारी करने चाहिए। वैक्सीन के उत्पादन बढ़ाने तथा नई वैक्सीन लाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं उससे जनता को निरंतर अवगत कराते रहना चाहिए। आगामी कुछ महीनों में वैक्सीनेशन कैसे आगे बढ़ेगा इसका रोडमैप सामने रखना चाहिए। मेरा अपना मत है कि राज्य सरकारों को वैक्सीन वितरण किए जाने के लिए निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर मापदंड निर्धारित किये जाने चाहिए:-
१- प्रदेश की जनसंख्या
२- प्रदेश में टीकाकरण की गति
३- प्रदेश में कोविड-१९ के प्रकरण
इसके आधार पर राज्य सरकारों वैक्सीन वितरित की जाना चाहिए।राज्य सरकारों को पूरी छूट दी जाए कि वे वैक्सीन किन्हें लगाएगी। निजी अस्पतालों और क्लीनिकों के खुले सहयोग के बिना वैक्सीनेशन की गति को बढ़ाना संभव नहीं है। राज्य सरकारों को जिला स्तर पर इस कार्य को विकेंद्रित करना होगा और राजनीतिक बयानबाजी के स्थान पर अपने कार्यों पर ध्यान देना होगा।
राज्य सरकारों को नाना प्रकार के लॉकडाउन लागू करने का नाटक बंद करना चाहिए तथा मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग पर बल देना चाहिए। अब फिर से लागू किया गया लॉकडाउन अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ देगा जिससे ग़रीब और निम्न मध्यम वर्ग टूट जाएगा। जनता को भी यह बात समझ लेना चाहिए कि उनका बचाव सरकार नहीं करेगी उन्हें स्वयं अपना बचाव करना है। सभी राजनीतिक दलों को इस विपदा से निपटने के लिए एकजुट होना बहुत आवश्यक है।