इंटरनेशनल मेंस डे: क्या आपने कभी सोचा है कि मर्दों के बारे में बात करना कितना जरूरी है? हर दिन एक महत्त्वपूर्ण दिन नहीं होता, लेकिन आज हम मर्दों को समर्पित करते हैं। आज हम मर्दों को उनके योगदान, संघर्ष, और भावनाओं का सम्मान करते हैं।
मर्द होना भी कोई सरल बात नहीं है। हम अक्सर देखते हैं कि समाज और संस्कृति ने हमें मर्द होने के लिए कितने सारे रोल्स और उम्मीदें सौंपी हैं। हर किसी को यही लगता है कि मर्दों को सब सहना चाहिए, सब कुछ संभालना चाहिए। पर क्या हमने कभी सोचा है कि वे भी इंसान हैं, उनकी भी भावनाएं होती हैं, उन्हें भी आजादी और सम्मान की जरूरत होती है?
आज के दिन, मर्दों को भी अपनी भावनाओं को साझा करने का अधिकार होता है। वे भी दर्द, खुशी, और संघर्ष में फंसे होते हैं। लेकिन समाज की अटूट नींव पर, हमें मर्दों की भावनाओं को दबा दिया जाता है।
इंसान होने का मतलब है कि हर कोई अपने भावनाओं को समझे, महसूस करे और उन्हें साझा करे। जब हम मर्दों के बारे में बात करते हैं, तो हमें ये सोचना चाहिए कि वे भी एक प्रकार के सुपरहीरो होते हैं, जो अपने जीवन में भी अनगिनत कठिनाइयों का सामना करते हैं।
आज हम उन सभी मर्दों को सलाम करते हैं, जो चुपचाप सभी को संभालते हैं, जो अपने जज्बे को अपनी खुशियों को छिपाकर, दूसरों की खुशियों के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं।
इस इंटरनेशनल मेन्स डे पर, यह समझें कि मर्दों की भावनाओं का सम्मान करना हमारी समाजिक सबलता का हिस्सा है। उन्हें सम्मान देने से हम न केवल उनकी मान्यताओं को स्वीकार करते हैं, बल्कि एक समान समाज की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।