ऐसा था मेरा टीकम-

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लेखक – उमेश शर्मा
स्व. कैलाश जोशीजी का राजगढ का लोकसभा चुनाव,जमोन्या जागीर का अतिसंवेदनशील बूथ। दो रात पहले गुना में वसुंधराराजे जी का जनसंपर्क मैनै टीकम ने और साथ में सुनील बिस्पुते,आनंद पुरोहित, पवन अग्रवाल, जगदीश देवलिया,सहित पांच अन्य मित्रों ने करवाया हमारी कार्यपद्धति से वे अभिभूत हो गई। तीसरे दिन हम राजस्थान की बाँर्डर पर मतदान करवाने भेजे गये।

जो स्थानीय कार्यकर्ता लेकर गया उसके घर भी कांग्रेसी झंडे लगे थे,सरपंच कांग्रेसी उससे मिलने गये। दूर दूर तक सडक नहीं। आधी रात को दिग्विजय सिंह जी का चचेरा भाई विनयविजयसिंह सौ से ज्यादा गुंडे लेकर आया। हमारे साथ बेतरह मारपीट, टेंपों ट्रैक्स से भागना चाहा,रास्तों से अनभिज्ञ, गाडी नदी में गिर गई। हम पानी में अधडूबे। हमें ग्रामीणों ने निकाला फिर पिटाई शुरू। सब जान बचाने जंगलों में भागे। मै और टीकम बंधक बना लिये गये।

डकैतों के हवाले सौपने का विनयविजयसिंह ने
फरमान दिया। मेरे सर पर मारी लाठी टीकम ने अपने माथे झेली।लहुलुहान हो गया। सब मित्र वापस एकजुट हुऐ। पिटाई जारी रही। दैवयोग से विधानसभा उपाध्यक्ष भैरूलाल पाटीदार जी आ गये।उनके गनमैन ने हवाई फायर कर पगलाई भीड तितर बितर कर हमारी जान बचाई। झालावाड़ के रास्ते घायल टीकम को थाने लाऐ। दूसरे दिन मतदान समाप्ति तक हम घिरे रहे। अजय जोशी, अजयसिंह नरूका सैकड़ों गाडियों का काफिला लेकर आऐ,तब हम जीवित बच सके।

फिर भी देह से संगठन भाव समाप्त नहीं हुआ। कैलाश जोशीजी राघोगढ में बूथ कैप्चरिंग के खिलाफ धरने पर बेठे घायल और घबराये हम धरने में पंहुचे और टीकम के कहने पर मैने जबरदस्त भाषण भी दिया। टीकम इतना ही नहीं था और भी विस्तारित था फिर लिखूंगा। कार्यकर्ताओं की इस जीवटता भरे अतीत को मूल्यांकित कभी तो किया जाऐगा ये अपेक्षा। अफसोस अब टीकम नहीं है😔