Indore News : निगम की लापरवाही से पानी के लिए तरसे 15 हजार से ज्यादा लोग

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By Shivani RathorePublished On: March 30, 2021

इंदौर : वार्ड 44 में एबी रोड से लगी एचआईजी, छोटी खजरानी, नया बसेरा सहित आसपास के रहवासी क्षेत्रों में आठ दिन से नल नहीं आए है। इससे इस बस्तियों के 15 हजार से ज्यादा रहवासियो में हाहाकर मचा हुआ है। नगर निगम के अफसरों की लापरवाही देखिए कि उनका कहना है पानी सप्लाई करना भूल गए थे। उक्त इलाकों में नर्मदा योजना का पानी आता है। अधिकांश शहर की तरह उक्त इलाकों में भी एक दिन छोड़कर नल आते हैं। जिस दिन पानी का दिन हो, उस दिन नल नहीं आए तो चार दिन का अंतराल हो जाता है।

उक्त क्षेत्रों में बुधवार (24 मार्च) को नल आए थे। उसके एक दिन छोड़कर यानि शुकवार (26 मार्च) को पानी का टर्न था किंतु नल नहीं आए। उसके एक दिन छोड़कर रविवार (28 मार्च) को पानी का टर्न था किंतु उस दिन भी नल नहीं आए। उसके एक दिन छोड़कर यानि मंगलवार (30 मार्च) को टर्न था किंतु नल रीते ही रहे। इस कारण उक्त क्षेत्रों के हजारों रहवासियों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।

टंकी से नहीं, डायरेक्ट सप्लाय है इसलिए भूल जाते हौं
उक्त क्षेत्रों में नर्मदा योजना से पानी आता है। शहर में कमोबेश सभी इलाकों में नर्मदा जल योजना का पानी टँकीयों के माध्यम से आता है किंतु एबी रोड से लगे उक्त रहवासी क्षेत्रों में नर्मदा का पानी एबी रोड से गुजरी नर्मदा लाइन से सीधे आता है। यानि उक्त क्षेत्रों की लाइन टँकी के बजाए सीधे में लाइन से जोड़ दी गई।

उक्त क्षेत्रों में अक्सर चार से आठ-10 दिन के अंतराल में पानी आता है। इसका कारण यह है कि टंकी से तो निगम कर्मी तय समय पर सप्लाय चालू करता है किंतु में लाइन पर सम्बंधित कर्मचारी सप्लाय शुरू करता है। अक्सर पानी नहीं आने पर सम्बंधित निगम कर्मी का जवाब यही रहता है कि सप्लाय करना भूल गए। या कभी वह यह भी कह देता है कि अमुक जगह लाइन फूट गई है।

जैसे 28 मार्च को (खास होली का दिन था) पानी का टर्न था किंतु निगम के सम्बंधित झोन क्रमांक 9 के सम्बंधित जूनियर इंजीनियर वेदिक चौहान ने पूछे जाने पर कह दिया कि एमजीएम कॉलेज के सामने नर्मदा लाइन फूट गई है इसलिए पानी सप्लाय नहीं आ सका जबकि एमजीएम के सामने कोई लाइन नहीं फूटी थी। सम्बंधित लोग निगम के नर्मदा योजना के प्रभारी अधिकारी संजीव श्रीवास्तव को भी शिकायत के लिए मोबाइल कॉल करते हैं पर वे रिसीव ही नहीं करते। आखिर लोग कहाँ जाएं।