मध्यप्रदेश सरकार ने शिक्षकों के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए एक के बाद एक सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब राज्य के सभी शिक्षकों के लिए शिक्षा पोर्टल 3.0 का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। यदि शिक्षक पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज नहीं करेंगे तो उन्हें वेतन नहीं मिलेगा। इसके अलावा, जो शिक्षक विभिन्न सरकारी ऑफिसों में पदस्थ हैं, उन्हें अब वापस स्कूलों में भेजा जाएगा।
ऑफिस नहीं, अब स्कूल में करेंगे सेवा
राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने स्पष्ट कहा है कि शिक्षकों का मूल कार्यस्थल स्कूल है, न कि सरकारी ऑफिस। उन्होंने लोक शिक्षण संचालनालय, राज्य शिक्षा केंद्र, बोर्ड ऑफिस, जिला शिक्षा कार्यालय, बीआरसी और जनशिक्षक कार्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को तुरंत कार्यमुक्त कर स्कूलों में भेजने के निर्देश दिए हैं।

मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिकारियों की बैठक में साफ तौर पर कहा कि अब कोई भी शिक्षक कार्यालयों में बैठकर डेस्क वर्क नहीं करेगा। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों की सक्रिय उपस्थिति स्कूलों में ज़रूरी है।
ट्रांसफर के बाद ज्वॉइन न करने पर सख्त कार्रवाई
शिक्षा मंत्री ने यह भी पाया कि कई शिक्षक ट्रांसफर के बाद नई पदस्थापना स्थल पर समय पर ज्वॉइन नहीं कर रहे हैं। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने ऐसे मामलों की जांच के आदेश दिए हैं। ज्वॉइनिंग में देरी करने वाले शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा पोर्टल 3.0 पर उपस्थिति अनिवार्य
अब मध्यप्रदेश के सभी शिक्षकों को शिक्षा पोर्टल 3.0 पर अपनी उपस्थिति और कार्य समय नियमित रूप से दर्ज करना होगा। पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज किए बिना किसी भी शिक्षक को वेतन नहीं दिया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई शिक्षक निर्धारित समय सीमा में उपस्थिति दर्ज नहीं करता है, तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय राज्य में शिक्षक व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।