अर्जुन राठौर
इंदौर कृषि महाविद्यालय परिसर में जैविक कृषि मेला आयोजित किया गया है जो 17 मार्च से 21 मार्च तक चलेगा 21 मार्च को इंदौर में लॉक डाउन है इसलिए 22 मार्च को मेला चालू रहेगा ।
अब सवाल इस बात का है कि क्या कोराना काल में जबकि सब तरफ अफरा तफरी मची है ऐसे में जैविक कृषि मेला लगाना जरूरी था जो लोग इस मेले में जा रहे हैं उनकी सुरक्षा की क्या गारंटी है? माना कि मेले में प्रवेश लेते समय हाथों को सैनिटाइज किया जा रहा है लोगों से कहा जा रहा है कि वे मास्क पहनकर ही अंदर आए लेकिन स्टालों पर जो भीड़ लगी है उसमें सोशल डिस्टेंसिंग की पूरी तरह से धज्जियां उड़ रही है स्टॉल वालों को भी किसी तरह से अपना माल बेचना है नहीं तो उनकी तो लागत भी नहीं निकलेगी ऐसे में उन्हें भी इस बात की कोई परवाह नहीं है कि उनके स्टालों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन क्यों नहीं हो रहा है ।
विचारणीय बात यह है कि क्या इस मेले को लगाना इतना ज्यादा जरूरी था कि जब इंदौर शहर में सारे ही कार्यक्रम कलेक्टर द्वारा निरस्त करवा दिए गए हैं ऐसे में ऑर्गेनिक मेले के नाम पर भीड़ इकठ्ठा करने का क्या औचित्य है कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि कृषि कॉलेज वालों को मार्च एंडिंग आने से बजट खत्म करना था इसलिए कोरोना काल की परवाह नहीं करते हुए मेला आयोजित कर लिया गया ।