धर्म क्रिया फोर्स के साथ फर्स्ट करो और फास्ट करोमुनिराज श्री ऋषभरत्नविजयजी प्रतिदिन धर्म एवं जीवन चर्या विषय पर बहुत उत्तम प्रवचन दे रहे हैं। आज उन्होंने समझाया कि जीवन में हम धन संचय करते हैं भविष्य की शक्ति के लिये इसी प्रकार पुण्य का संचय होता आत्मा की शक्ति के लिये। ज्ञानी भगवंत का कहना हैं कि धर्म करना सभी का कर्तव्य है और इसी के प्रभाव से पुण्य का संचय होता है।
परंतु मनुष्य पाप करके सोचता है पुण्य मिल जाये जो इस कहावत को चरितार्थ करता है “बोया पेड़ बबूल का फल कहाँ से होय”। बड़े-बड़े तप, प्रतिदिन इतनी क्रियायें करने की बाद एवं उत्तम भव, कुल, मुनि भगवंतों की शरण मिलने की बाद भी क्लेश क्यों होता है, संयम के भाव उत्पन्न क्यों नहीं होते, केवल ज्ञान क्यों नहीं होता एवं धर्म का विकास क्यों नहीं हो रहा है।
इन सभी असफलताओं की जड़ है ‘आज तक जो हमें नहीं करना चाहिये था वह कर रहे हैं एवं जो करना चाहिये था वह नहीं किया’। अमृत पीकर भी अमरता न मिले तो तीन कारण हो सकते हैं पीने की विधि नहीं जानते हैं, अमृत पिया ही नहीं या केवल पानी ही था। इन कारणों को छः स्टेप्स से समझा जा सकता है जिसमें से तीन निम्न हैं।
1. फोर्स से करो – धर्म करने की प्रचंडता ऐसी हो कि वह शरीर से मन एवं आत्मा में उतर जाये। पानी ऊपर चढ़ाना हो तो फोर्स चाहिये इसी तरह धर्म में भी फोर्स आवश्यक है। धर्म रूपी दवा की गोली लेकर जेब में रखने से काम नहीं बनेगा उसको पेट तक पहुंचाना ज़रूरी तभी असर होगा। पाप फोर्स से हुआ तो दुर्गति और धर्म फोर्स से हुआ तो सद्गति। फोर्स से धर्म आदर के साथ करो, अति आनंद से करो एवं अनुमोदना के आनंद के साथ करो।
2. फास्ट करो – अर्थात बिना टाल-मटोल करे तुरंत धर्म क्रिया करना चाहिये जिससे धर्म स्थापना होती है। धर्म में शीघ्रता हो जल्दबाजी नहीं, यहाँ पर भगवान संभवनाथ का उदाहरण उल्लेखनीय है। हाथी के कर्ण समान जीवन हमेशा चंचल है इसलिए धर्म में शीघ्रता वांछनीय है। धर्म को दवा की गोली की समान न लेकर इन्जेक्शन की तरह लेना श्रेयस्कर है जो तुरंत असरकारक होता है।
3. फर्स्ट करो – धर्म करने के कार्य को सर्वोच्च वरीयता देना आवश्यक है। जिस तरह चीजें हमको पहले चाहिये इसी तरह धर्म भी पहले हो। अधिकतर हम भौतिकता को आगे रखकर धर्म पीछे रखते हैं, जबकि धर्म को प्रधानता प्राप्त होना चाहिए।
बैंक के ATM से जितनी जमा राशि हो केवल उसको 24 घंटे निकाल सकते हैं अर्थात Any Time Money.
परंतु धर्म के ETM में जमा धर्म से कई गुना लाभ निकलता है अर्थात Every Time Money। कल शेष तीन स्टेप्स बताये जायेंगे।
मुनिवर का नीति वाक्य
“‘पहल करने वाला पहलवान होता”
राजेश जैन युवा ने बताया कि, 3 से 7 सितंबर तक अलग-अलग तरीके से विशेष एकासने का तप किया जायगा जिसमें बहुत समाज जन हिस्सा ले रहे हैं। इस अवसर पर श्री वीरेन्द्रजी बम, श्री संदीप पोरवाल, श्री सुरेन्द्रजी रांका, श्रीमती राजकुमारी कोठारी (बनारस साड़ी), श्रीमती दिव्या शाह, श्रीमती सुनीता पोरवाल एवं पुरुष व महिलायेँ उपस्थित थे।