इंदौर। भारत की आजादी के साथ ही भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी से भारतवासियों को रूबरू होना पड़ा। इसमें सबसे दुखद अखंड भारत के वासियों के साथ हुआ जिन्हें पलायन करना पड़ा विस्थापन का दर्द आज तक उनके मन में है। उक्त उध्बोधन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद शंकर लालवानी ने व्यक्त किये। 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के एक दिन पूर्व आज दिनांक 13 अगस्त 2023 को राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद द्वारा विभाजन विभीषिका पर एक कार्यक्रम इंदौर के प्रीतम लाल दुआ सभागृह में आयोजित किया गया ।
राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद शिक्षा मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा यह कार्यक्रम देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम मे विभाजन विभीषिका की त्रासदी पर मुख्य अतिथि सांसद शंकर लालवानी, डॉ. तनेजा, आर कुमार,आरतलाल पुरस्वानी द्वारा अपने अपने विचार व्यक्त किए गए । कार्यक्रम के सूत्रधार राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास समिति के सदस्य मनीष देवनानी ने बताया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को उसे त्रासदी की जानकारी से अवगत कराना है जो विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी रही एवं सिंधी समाज, सिख समाज एवं कई समाजों ने इसे भुगता है इस दर्द को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में हर साल 14 अगस्त को याद किया जाता है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विश्व हिंदू परिषद के सचिन बघेल थे। उन्होंने विस्तार पूर्वक 14 अगस्त को 1947 को विभाजन विभीषिका की घटनाओं का वर्णन किया और नई पीढ़ी को इसकी विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम के प्रारंभ में 14 अगस्त 1947 को विभाजन विभीषिका में अपने प्राण गवाने वाले शहीदों को मौन रैली निकालकर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम स्थल पर 14 अगस्त 1947 की विभाजन विभीषिका की घटनाओं की दर्शाती प्रदर्शनी भी लगाई गई। कार्यक्रम में कवित्री विनीता मोटलानी एवं साहित्य रचना नामोश तलरेजा द्वारा किया गया । कार्यक्रम का संचालन संदीपन आर्य ने किया एवं आभार प्रकाश खेमानी ने व्यक्त किया । कार्यक्रम में अजय शिवानी, धनेश मटाई, हरीश मोटवानी, अशोक राजपाल,राजेंद्र सचदेव, ईश्वर हिंदूजा, ईश्वर झामनानी, नंदलाल खथूरिया, कैलाश सीतलानी, संजय नरसिघानी,संजय वाधाणी, बरखा इसरानी रिया मोटवानी, अर्जुन भागजई,,पंकज वाधवानी (एडवोकेट), घनश्याम शेर, राजेश शुक्ला, पार्षद कंचन गिदवानी, पार्षद संध्या यादव,कार्यक्रम समन्वयक -विशाल गीदवानी थे। मुख्य रूप से अनिल असरानी, मंशाराम राजानी, परमानंद खेमानी, राजेश जैन, विजय पंजाबी, सिटू छाबरा, सनी टुटेजा, गुरलीन कौर, विजय पाहुजा, द्रौपदी रीझवानी, डॉ. वाधवानी, निर्मला राजानी आदि समाज जन उपस्थित थे।