इंदौर। हड्डियों और जोड़ों में चोट या दर्द बहुत ही आम समस्या है जो जनसामान्य में तेजी से बढ़ रही है। हर साल 4 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय हड्डी एवं जोड़ दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य हड्डी के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना और उपचार को बढ़ावा देने में मदद करना है। इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा 2012 में पहली बार राष्ट्रीय हड्डी और जोड़ दिवस मनाने का फैसला किया गया था। मेदांता सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के जोड़ एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश मंडलोई के अनुसार “हमारी भागदौड़ भरी जिन्दगी में हमने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर दिया है। शारीरिक शून्यता और दूषित भोजन ने हमारी हड्डियों को काफी नुकसान पहुँचाया है। फास्ट और प्रोसेस्ड भोजन के सेवन को सीमित करने के साथ-साथ संतुलित आहार लेने से हड्डियों को मजबूत और सेहतमंद बनाया जा सकता है, जिसमें फल, सब्जियां, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, आदि शामिल हैं। अगर समय रहते समस्या को पहचान कर इसका उपचार शुरू कर दिया जाए तो गंभीर परिस्थितियों से बचा जा सकता है। अन्यथा सर्जरी, ऑपरेशन और रिप्लेसमेंट की भी जरूरत पड़ सकती है।”
ऐसे कई रोग हैं जो हड्डियों और जोड़ों को प्रभावित कर सकते हैं
ऑस्टियोपेनिया: यह एक ऐसी स्थिति है जहां हड्डियों की डेंसिटी कम हो जाती है, और हड्डियां अंदर से खोखली हो जाती है। यह स्थिति बाद में गंभीर होकर ऑस्टियोपोरोसिस का स्वरूप ले सकती है, जिसमे जिसमें हड्डियां के अचानक, अप्रत्याशित फ्रैक्चर होने का खतरा होता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस: ऑस्टियोआर्थराइटिस में हड्डियों के सिरों पर मौजूद सुरक्षा कवच जो कुशनिंग का काम करते हैं उनका नाश होने लगता है। यह समस्या ज्यादातर घुटने और पीठ जैसे बोझ उठाने वाले जोड़ों को प्रभावित करता है। इसमें उठने बैठने और सामान्य गतिविधियाँ करने में भी दिक्कत हो सकती है।
अर्थराइटिस: अर्थराइटिस में व्यक्ति के जोड़ों में दर्द होता है तथा उनमें सूजन आ जाती है। अर्थराइटिस शरीर के किसी एक जोड़ या एक या अधिक जोड़ों में दर्द, सूजन का कारण बन सकती है।
साइटिका: इसका दर्द रीढ़ की हड्डी से शुरू होती है और इसकी एक-एक शाखा दोनों पैर में नीचे की तरफ बढती है। साइटिका का दर्द आपकी पीठ, नितंबों और पैरों में होता है और काफी ज्यादा हो सकता है। आप इन अंगों में कमजोरी या सुन्नपन भी महसूस कर सकते हैं।
एवास्क्यूलर नेक्रोसिस ऑफ हिप: यह एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें खून की कमी से बोन टिश्यु मरने लगते हैं। आसान भाषा में इस स्थिति को हड्डियों का गलना भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में आमतौर पर महीनों से लेकर सालों तक का समय लगता है। कोविड के बाद ऐसे मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जिसका मुख्य कारण दवाईयों, स्टेरॉयड का बढ़ता सेवन है।
डॉ मंडलोई आगे बताते हैं “हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने डेयरी उत्पाद (पनीर, दही और दूध), हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक, मैथी), मछली (सैल्मन, ट्यूना और मैकेरल), फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ (संतरे का रस और अनाज), मेवे (बादाम, मूंगफली और अखरोट), बीन्स (ब्लैक बीन्स, किडनी बीन्स, एडमैम बीन्स), प्रोटीन रिच डाईट और टोफू जैसे खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा धूम्रपान और शराब का सेवन करने की आदत को छोड़कर, नियमित शारीरिक गतिविधियों जैसे चलना, जॉगिंग, साइकलिंग, स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज, वजन को संतुलन में रखना और पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाने से, आप हड्डी और जोड़ों की बीमारी के जोखिम को रोक सकते हैं।”