इंदौर. टीनएज लड़कियों में हार्मोनल इंबैलेंस विषय पर क्रिएट स्टोरीज एनजीओ द्वारा शासकीय कन्या विद्यालय में आयोजित कार्यशाला में हार्मोन रोग विशेषज्ञ डॉ अभ्युदय में परिचर्चा की। एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया किशोरावस्था में बहुत सारी लड़कियों को हार्मोनल असंतुलन की दिक्कत का सामना करना पड़ता है एवं यह समय काफी मुश्किल भी होता है। पिछले 10 सालों में डेढ़ गुना किशोरावस्था लड़कियों में हार्मोनल इंबैलेंस देखने को मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि किशोरावस्था वह समय होता है, जब शारीरिक बदलाव आने लगते हैं ,उनका लाइफस्टाइल गतिहीन होता है साथ ही मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से हार्मोन में उतार-चढ़ाव आता है। हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से बढ़ने वाली इन्फ्लेमेशन को रोकने के लिए नैचुरल डाइट, पर्याप्त नींद और खान-पान व नियमित एक्सरसाइज के लिए शेड्यूल तय करना बहुत जरूरी है। जब हार्मोन्स का स्तर संतुलित होता है तो आपका मूड स्थिर रहता है और आप ऊर्जावान, प्रेरित और मानसिक रूप से तेज महसूस करते हैं।
टीनएज लड़कियों में मासिक धर्म भी शुरू हो जाता है इस समय बच्चों के खराब लाइफस्टाइल या खराब खान-पान के ढंग से उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है साथ ही सबसे बड़ी मुश्किल होती है हार्मोनल असंतुलन होना। आपकी छोटी सी गलती की वजह से भी यह दिक्कत काफी बड़ी बन सकती है। इसी के साथ उन्होंने बताया कि मॉडर्न साइंस ने 50 से अधिक तरह के हार्मोन की पहचान की है जो शरीर में विभिन्न कार्य करते हैं। इन हार्मोन्स का स्तर जब बहुत बढ़ जाता है या घट जाता है तो हार्मोनल असंतुलन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। किशोरावस्था या टीनएज के दौरान शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण आमतौर पर चेहरे पर मुंहासे निकलते हैं यह इस समस्या का पहला संकेत है। साथ ही चिड़चिड़ापन, मूड खराब होना, एकाग्र न हो पाना और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
हार्मोनल असंतुलन को नजरअंदाज करने पर महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम डिसऑर्डर और अन्य बीमारियां हो सकती हैं। हार्मोनल इंबैलेंस के कुछ लक्षण मूड स्विंग्स , खराब नींद, वजन बढ़ना या घटना, बालो का जल्दी सफेद होना , थकान, अनियमित पीरियड्स, पीरियड देरी से आना, खूब पसीना आना , चिड़चिड़ापन, चेहरे पर बाल आना, मुँहासे होना शामिल है। उन्होंने बताया कि संतुलित आहार ले, फिज़िकल एक्टिविटी,पर्याप्त नींद, रोजाना ढाई लीटर पानी का सेवन, फल और सब्जियां, मेडिटेशन करें, लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से नियमित चेकअप करवाए।