भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के सदस्यों ने लोकेश जाटव वाणिज्यिककर आयुक्त के कार्यालय में पहुंचकर मुलाकात की एवं व्यापारियों को आ रही समस्याओं के बारे में चर्चा करते हुए ज्ञापन दिया l संस्था के प्रदेश अध्यक्ष दीपक भंडारी ने बताया कि जीएसटी के मुख्य नुकसान में से एक यह है कि इससे व्यापारी एवं एमएसएमई के टैक्स भार में वृद्धि हुई है l इससे पहले, आईएनआर 1.5 करोड़ से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाली फर्म एक्साइज़ ड्यूटी के अधीन थीं ,हालांकि, नए टैक्स व्यवस्था के तहत, ऐसी कोई भी कंपनी जिसकी वार्षिक बिक्री ₹20 लाख से अधिक है, को टैक्स लायबिलिटी का भुगतान करना होगा l
जिससे छोटे व्यापारियों को वर्किंग कैपिटल की समस्या हो रही है l जटिल कर संरचना भी एक परेशानी का सबब है l जीएसटी की प्रमुख चुनौतियों में से एक इसकी जटिल कर संरचना है। जीएसटी प्रणाली में चार कर स्लैब हैं – 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अतिरिक्त, कच्चे कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों पर 0.25% और सोने पर 3% की विशेष दर है। इसे आसान बनाने की ओर सरकार को सोचना चाहिए l जीएसटी विशेषज्ञ आर एस गोयल ने कहा कि आगामी 1 अगस्त से ऐसे करदाता जिसका वर्ष 17-18 या उसके बाद के किसी भी वर्ष में टर्नओवर 5 करोड़ से अधिक होने पर, ई इनवॉइस जारी करने की आवश्यकता आ जाएगी, ऐसे में सरकार का दायित्व है कि ऐसे छोटे करदाताओं की जागरूकता के लिए देशव्यापी लर्निंग कार्यक्रम चलाया जाए।
यदि कारोबारी ई इनवॉइस नहीं बनाता तो ऐसी दशा में माना जाएगा कि उसने अपना माल बगैर इनवॉइस के परिवहन किया है। उस करदाता पर भारी कर दायित्व और जुर्माने का दायित्व आ जाएगा, बल्कि लेने वाले व्यापारी को भी बगैर बिल के आईटीसी लेने का आरोप आएगा तथा भारी जुर्माने को भुगतना करना होगा। नगर अध्यक्ष मनीष बिसानी ने कहा की धारा 61 के तहत विभाग द्वारा न्याय उचित फॉर्म नंबर 10 जारी नहीं किए जा रहे हैं, ऐसे में करदाता को लिखित जवाब से अपना विरोध रखना होगा। महामंत्री जितेंद्र रामनानी ने बताया कि सप्लायर करदाता द्वारा टैक्स का भुगतान ना करने पर खरीददार करदाता द्वारा उसकी वसूली करना न्यायोचित और संविधानिक नहीं है।
इस संदर्भ में कई उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय आ जाने के बावजूद विभाग द्वारा बगैर कानूनी प्रक्रिया अपनाएं खरीदार करदाता से वसूली के नोटिस और कार्रवाई की जा रही है , यह सरासर गलत है lइस संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा एक विस्तृत मानक कार्य प्रक्रिया की तुरंत आवश्यकता है ताकि ऐसे केसेस में संपूर्ण राष्ट्र में एकरूपता बन सके। आर एस गोयल ने सुझाव दिया की आज भी देशव्यापी कई संस्थाएं जीएसटी के संबंध में कोई रजिस्ट्रेशन और भुगतान सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि वह आयकर की धारा 12ए ए अथवा 80जी मैं पंजीकृत है ,जबकि जीएसटी नियम के तहत जीएसटी के दायित्व से मुक्ति के लिए सिर्फ इतनी ही आवश्यकता संपूर्ण नहीं हैl
उनकी यही अनभिज्ञता आने वाले समय में ऐसी संस्था ,ट्रस्ट तथा अंकेक्षक को जीएसटी अथवा अन्य अधिनियम के तहत भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, ऐसी ही चुक कई शिक्षण संस्थाएं वह अस्पताल भी कर रहे हैं, ऐसी संस्थाओं को समय रहते अच्छे कर सलाहकार से लिखित सलाह ले लेनी चाहिए एवं जाटव जी से निवेदन किया कि हम आपके सानिध्य में कार्यशाला का आयोजन करेंगे l संस्था के प्रदेश महामंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि यह जानना अत्यंत आवश्यक है की विभाग द्वारा धारा 65 के तहत ऑडिट के दौरान गहन जांच की जाती है जिससे कठिनाइयां बढ़ जाती है आपसे निवेदन है कि छूटे हुए करदाताओं को दायरे में लाएं l
जीएसटी कानून अभी भी अपने शुरुआती दौर में हैं। ईमानदार करदाता लगातार अपने दायित्व का भुगतान कर रहा है तथा सरकार कि जीएसटी की आय माह दर माह बढ़ भी रही है। ऐसी दशा में सरकार को ईमानदार करदाता पर किसी व्यवसायी पर कड़ी कार्रवाई करने की बजाएं छूटे हुए करदाताओं को खोज कर ,कर के दायरे में लाना चाहिए।
संस्था के सभी सदस्यों ने एकमत से विचार रखा की जीएसटी आने के 6 वर्ष पूर्ण होने के बावजूद आज भी पोर्टल तथा कानून में कई खामियां हैं सरकार को एक मुहिम के तहत कर सलाहकारों से मंत्रणा करके उसमें जरूरी बदलाव करने चाहिए। संजय आहूजा ,दीपक शाह भी विशेष रूप से उपस्थित रहे l