इंदौर. पिछले एक साल में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही है कि इससे जुड़े हुए कई मिथ दूर हो गये हैं। मसलन, पहले कई लोगों को लगता था कि इस पद्धति की दवायें धीरे-धीरे असर करती हैं या फिर कई गंभीर बीमारियों में यह चिकित्सा पद्धति बहुत ज्यादा कारगर नहीं हैा ऐसी कई गलतफहमियाँ कोरोना काल के पहले मरीजों और उनके परिजनों के मन में होती थीं लेकिन कोविड – 19 पर विजय पाने में जिस तरह से होम्योपैथी ने सर्वाधिक प्रभावशाली भूमिका निभाई, उसके बाद तो चिकित्सा जगत का पूरा परिदृश्य ही बदल गया है। अब बात होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, प्राकृतिक, योगिक आदि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ एलोपैथिक पद्धति के ऐसे सम्मिश्रण से समग्र इलाज की हो रही है जिससे मरीज को कम से कम खर्च में बेहतर से बेहतरीन इलाज मिल सकता है। यह होलिस्टिक एप्रोच आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत है और मुझे खुशी है कि आयुष मंत्रालय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर इस पर काफी गंभीरता से चिंतन कर रहा है।
व्यक्तिगत रूप से पिछले एक साल में मैंने अप्लास्टिक एनीमिया सहित पुरानी बीमारियों के इलाज में उल्लेखनीय प्रगति की है। निरंतर प्रयासों, हजारों संतुष्ट मरीजों और नई अपडेट्स को भलीभांति आत्मसात कर मैंने होम्योपैथी उपचार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की कोशिश की है और उसमें पूरी तरह सफल भी रहा हूँ। इन प्रयासों का सीधा फायदा मरीजों को मिल रहा है और उनकी स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव परिलक्षित हो रहा है।
पिछले साल हमने अन्य कई तरह की पुरानी बीमारियों जैसे रक्तस्राव विकार, बच्चों में नाक से खून आना और मधुमेह को भी 50 मिलीसिमल शक्ति से बनी होम्योपैथी दवा के माध्यम से ठीक किया है। मैंने प्रस्तावित किया है कि होम्योपैथी कैंसर के उपचार का एक बेहतर विकल्प प्रदान करती है। दरअसल कैंसर के इलाज में कीमो – रेडियोथेरेपी शामिल होती है, जो कहीं न कहीं रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है। जब ऐसे कई मरीजों को कीमो रेडियोथेरापी के बाद भी समस्या में आराम नहीं मिलता तब होम्योपैथी इलाज के लिए आते हैं और उन्हें काफ़ी हद तक सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। मेरे यूट्यूब चैनल डॉ एके द्विवेदी होम्योपैथी पर उपलब्ध 750 से अधिक वीडियो भी होम्योपैथी के जरिये अनेक गंभीर रोगों के सुगम इलाज की दिलचस्प दास्तां बयां करते हैं।
अप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें अस्थि मज्जा रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बंद कर देता है। जिससे शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है। अस्थि मज्जा उन रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार है जिनकी हमें जीवित रहने के लिए आवश्यकता होती है, लेकिन इस बीमारी में रक्त कोशिकाओं का निर्माण रुक जाता है। मगर पिछले कई साल में मैंने इसके अनेकों मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज कर उन्हें स्वस्थ जीवन जीने का मौका दिया है। यह सब इतना आसान नहीं था लेकिन लोगों में होम्योपैथी की बढ़ रही विश्वसनीयता के चलते असाध्य भी साध्य होने लगा है। पिछले एक साल में हमने होम्योपैथी उपचार के जरिये सिकल सेल और अप्लास्टिक एनीमिया सहित दूसरी कई गंभीर बीमारियों के इलाज में उल्लेखनीय सफलतायें हासिल की है। अपने करीब 25 सालों के बतौर होम्योपैथी चिकित्सक अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि इस पद्धति के विकास क्रम का मेरे देखने में यह सर्वश्रेष्ठ कालखण्ड है।
इसी साल करीब 6 महीने पहले 10 जनवरी, 2023 को भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के साथ मुलाक़ात में, मैंने होम्योपैथी उपचार के साथ अप्लास्टिक एनीमिया, सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया एनीमिया के साथ-साथ अन्य प्रकार के एनीमिया जैसी पुरानी बीमारियों के इलाज में अपना अनुभव साझा किया। तब मैंने इस बात पर जोर दिया था कि होम्योपैथी उपचार इन बीमारियों के लक्षणों को कम कर रोगियों को उल्लेखनीय राहत प्रदान कर सकता है। इसके अलावा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन के साथ मुलाक़ात में भी मैंने एनीमिया जैसी बीमारियों के इलाज के लिए बजट आवंटन की आवश्यकता पर भी चर्चा की थी। उन्होंने इसे 2023-24 के बजट में शामिल कर सुनिश्चित किया कि भविष्य में ऐसी बीमारियों से पीड़ित रोगियों को समय पर आवश्यक उपचार मिल सके। 2047 तक एनीमिया मुक्त भारत बनाने के लक्ष्य की महत्वपूर्ण घोषणा से उनकी दूरदर्शिता और मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर उनकी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता स्पष्ट झलकती है। इसके लिये मैं तमाम चिकित्सा जगत की ओर से हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।