Devshayani Ekadashi 2023: देवशयनी एकादशी पर जीवन से कंगाली और दरिद्रता दूर करने के लिए करें ये खास उपाय

Simran Vaidya
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Devshayani Ekadashi 2023 ke Upay: हिंदूधर्म में हर व्रत का अपना महत्व होता हैं। जिसमें एकादशी का भी अपना एक अलग महत्व होता है। हर महीने 2 एकादशी आती हैं, पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी में भक्त भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना करते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना कर व्रत रखते हैं। पूजा के उपरांत कथा भी सुनते हैं।

Devshayani Ekadashi 2023: एकादशी पर कर लें ये उपाय-रातोंरात चमकेगी किस्मत!

हिंदू धर्म में आषाढ़ के महीने को खास माना जाता हैं। इस महीने में लोग रोजाना सूर्योदय से पहले स्‍नान करते है और उगते सूर्य को जल चढ़ाते हैं। साथ ही एकासन व्रत करते हैं। इस महीने का हर दिन बहुत महत्वपूर्ण माना गया हैं। इस दौरान पड़ने वाले सभी व्रत-त्‍योहारों को भी खास माना जाता है।सनातन परंपरा के मुताबिक हर महीने दो बार एकादशी का व्रत पड़ता है। साथ ही चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। इसके बाद श्री हरि योग निद्रा में चले जाते हैं।

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भगवान श्री विष्‍णु के योगनिद्रा में जाने के बाद भगवान शिव संसार का प्रचालन संभालते हैं। इसलिए चातुर्मास में और विशेषकर सावन माह में भगवान शिव की भक्ति करना बहुत लाभ देता है। विशेष तौर पर सावन सोमवार के व्रत और शिव जी की पूजा कर प्रत्येक मनोरथ पूरी कर देती है।

देवशयनी एकादशी के महाउपाय

हिंदू धार्मिक मान्यताओं में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। देवशयनी एकादशी के दिन किए गए उपाय धन की देवी मां लक्ष्‍मी और भगवान श्री हरि विष्‍णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 29 जून 2023 की सुबह 03 बजकर 18 मिनट से होगी और 30 जून 2023 की सुबह 02 बजकर 42 मिनट पर देवशयनी एकादशी तिथि समाप्‍त होगी।

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देवशयनी एकादशी के दिन उपवास अवश्य करें और विधि-विधान से भगवान श्री हरि विष्‍णु की पूजा करें। साथ ही पूजा में विष्‍णु जी को तुलसी के पत्ते जरूर अर्पित करें। लेकिन ध्‍यान रहे कि इसके लिए तुलसी एकादशी से पहले ही तोड़कर रख लें। एकादशी और रविवार के दिन तुलसी के पत्‍ते तोड़ने या तुलसी का पौधा छूने की भूल ना करें। ना ही तुलसी के पौधे में जल दें।

देवशयनी ग्यारस के दिन मां लक्ष्‍मी की भी पूजा अवश्य ही करें। साथ ही भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से जलाभिषेक करें। इससे भगवान विष्णु के साथ साथ मां लक्ष्मी का भी स्नेह और सान्निध्य प्राप्त होगा और आपके घर में हमेशा सुख-शान्ति बनी रहेगी।

देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु की पूजा के समय एक रुपए का सिक्का श्रीहरि विष्णु जी की तस्वीर के समक्ष रख दें। पूजा के बाद इस सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर अपने घर की तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी शीघ्र प्रसन्‍न होंगी और घर में धन धान्य के भंडार भर देगी।