इंदौर । शैल्बी अस्पताल की टीम ने मार्जिनल किडनी के प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक कर दिखाया, 19 साल की यह लड़की 2012 से किडनी फैल्यूअर से पीड़ित थी और जब लम्बे समय तक परिवार में कोई योग्य किडनी नहीं मिली तो भोपाल की एक 62 वर्षीय महिला (ब्रेन डेड) की मार्जिनल किडनी पीड़िता को लगाने का निर्णय किया गया। SOTTO की सूची के वरीयता क्रम के आधार पर शैल्बी हॉस्पिटल को इस किडनी प्रत्यारोपण का मौका मिला।
इस मार्जिनल किडनी (ग्राफ्ट किडनी की असामान्य शरीर रचना) के साथ ऑपरेशन करना जटिल था, लेकिन शैल्बी की टीम ने यह चुनौती स्वीकार की और किडनी जल्द से जल्द बिना किसी अवरोध के शैल्बी पहुंच सके इसके लिए भोपाल से इंदौर तक ग्रीन कॉरिडर का निर्माण किया गया था जिसके लिए चार जिलों भोपाल, सीहोर, देवास और इंदौर के अधिकारियों ने कमान संभाली और इतने लम्बे ग्रीन कॉरिडोर को सफल बनाया। मल्टी डिसिप्लिनरी यूनिट होने के कारण शैल्बी इस कठिन कार्य को संभव कर पाया। शैल्बी की एंबुलेंस को सुबह करीब 6:00 बजे (5:20 AM क्लैम्पिंग टाइम) किडनी मिली और वह सुबह 08:15 बजे इंदौर पहुंच गई।
यह ऑपरेशन यूरोलॉजिस्ट डॉ. विनीत नाजा जैन के अथक प्रयासों से सफल हो पाया जिसमें डॉ. सिद्धार्थ दुबे, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. अनिता चौकसे, एनेस्थेटिस्ट डॉ. नरेन्द्र ददरवाल और डॉ. अमृता अजमानी शामिल रहे। साथ ही डॉ विवेक जोशी और डॉ पवन पटेल ने आईसीयू टीम का नेतृत्व किया। शैल्बी हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किए जा रहे है। इस टीम में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले डॉक्टर की टीम में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ असद रियाज, डॉ. राहुल शुक्ला, सर्जन डॉ. सी. एस. थत्ते, एनस्थेटिस्ट डॉ. जाकिर हुसैन, डॉ. विवेक चंद्रवत, डॉ. विभोर अकोतिया और डॉ. वीणा शामिल है।
शैल्बी हॉस्पिटल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ असद रियाज ने कहा “किडनी ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया है इसके इलाज से भी ज्यादा कठिन है किडनी डोनर को ढूंढना, सरकार ने इसके लिए योजनाएं भी चलाई है, जिसमें मुस्कान जैसे सामाजिक ग्रुप काफी सहायता करते हैं। ट्रांसप्लांट में कई लोगों का सहयोग होता है। एक स्पेशलिस्ट्स की टीम जिसमे किडनी रोग विशेषज्ञ, किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन या यूरोलॉजिस्ट शामिल होते हैं।
इस प्रक्रिया में किडनी ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर भी मुख्य भूमिका में होते हैं जो इस से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपन्न करते हैं।” मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. विवेक जोशी के अनुसार शैल्बी अस्पताल में सभी प्रकार के किडनी ट्रांसप्लांट किए जा रहे है और किडनी रिजेक्शन के खतरे के बावजूद परिणाम शत प्रतिशत है, लेकिन उसके लिए भी हम तैयार हैं। हमने सर्जिकल और मेडिकल साइड दोनो मामलों को अच्छे से हल किया है और आगे भी अपनी सेवाएं इसी ईमानदारी से देने के लिए तत्पर हैं।
शैल्बी हॉस्पिटल की किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ अनिता चौकसे के अनुसार “भारत में प्रतिवर्ष ऑर्गन ट्रांसप्लांट के न हो पाने की वजह से ढाई लाख मौतें होती हैं। करीब एक लाख लोग लिवर ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा में हैं, लगभग 2 लाख लोगों को किडनी की अवश्यकता होती है, वहीं हृदय के लिए प्रतिवर्ष 50 हजार लोग इंतजार करते हैं, इसलिए जरूरी है कि लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करें ताकि लाखों लोगों की जान बच सके।”
Source : PR