चुनाव से पहले जागी सरकार, बूढ़े हो चुके नेहरू स्टेडियम में नई जान फूंकने की कोशिश

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विपिन नीमा 

इंदौर। इंदौर शहर की पहचान दिलाने वाला 60 साल पुराना जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम अब बूढा हो चुका है। इसकी सेहत बिलकुल भी ठीक नहीं है। लम्बे अरसे के बाद सरकार ने बीमार स्टेडियम की सुध ली। सरकार ने इसका इलाज कराने का मन बनाया है। 25 साल पहले कलंकित होने के बाद से स्टेडियम में खेल स्पर्धाएं बंद हो गई। आज स्टेडियम बदहाल स्थिति मे है। वर्तमान मे स्टेडियम का उपयोग सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियों, सरकारी आयोजनों तथा चुनावी सामग्रियों में हो रहा है।

अब स्टेडियम को उसकी पुरानी पहचान लौटाने के लिए नगर निगम तैयारी कर रहा है। अगर स्टेडियम का जीर्णोद्धार एवं नव निर्माण होता है तो सबसे बड़ी चुनौती स्टेडियम के मैदान को हरा – भरा करना रहेगी । आज की स्थिति में पूरे मैदान की मिट्टी बंजर हो चुकी है । मैदान को सवारने तथा हरा भरा करने के लिए कम से कम 5 से 7 फीट तक खुदाई करके नया मैदान तैयार करना पड़ेगा। स्टेडियम का जीर्णोद्धार एवं नव निर्माण कैसा होगा बनेगा, ये सब पूरी डिटेल रिपोर्ट बनने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल अभी तो केवल मुख्यमंत्री ने स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाए जाने की घोषणा की है।

स्टेडियम में क्रिकेट की वापसी होना नामुनकीन है…..

नेहरु स्टेडियम और क्रिकेट का नाता सालो तक चला, लेकिन एक घटना ने दोनों का सालो पुराना नाता तोड़ दिया। अब फिर से स्टेडियम मे क्रिकेट लाने का प्रयास किया जा रहा है । फिलहाल डोमेस्टिक( घरेलू क्रिकेट) से लेकर इंटरनेशनल स्तर तक के क्रिकेट को स्टेडियम मे वापस लाना एक मुश्किल काम है।
इसके कई कारण है – इनमे ये कारण प्रमुख है –
▪️ इंदौर में अन्तरराष्ट्रीय स्तर का होलकर क्रिकेट स्टेडियम उपलब्ध है।
▪️ विश्व क्रिकेट में होलकर स्टेडियम की पहचान बन चुकी है और यहां पर क्रिकेट के सारे सारे फॉर्मेट में मैच हो चुके हैं ।
▪️अगर मैदान हरा भरा हो भी जाएगा तो ये जरुरी नहीं है की आईसीसी और बीसीसीआई स्टेडियम को क्रिकेट के लिए हरी झंडी दे देगे ।
▪️ बोर्ड इसलिए भी स्टेडियम मे मैच कई परमिशन नहीं देगा क्योंकि इंदौर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट उपलब्ध है।
▪️ नेहरु स्टेडियम को पूरा मैदान के आउट फिल्ड को समतल करना पड़ेगा।
▪️ कम से कम 5 से 7 फीट तक मैदान की खुदाई करना पड़ेगी, क्योंकि मैदान की जमीन पूरी तरह से बंजर हो चुकी है। इसमें पत्थर, कंकर गिट्टी व प्लास्टिक के कई सामान मिटी में दबे हुए है। खुदाई के दौरान ये सारा कचरा निकालना पड़ेगा।
▪️ 5 से 7 खुदाई के बाद इसमें गांव के तालाबों के आसपास की काली मिट्टी लाकर मैदान को भरना पड़ेगा। इसमें सैकड़ों ट्रक मिट्टी लग जाएंगी।
▪️ मैदान में नई मिट्टी डालने के बाद इसको प्रतिनिदि पानी का छिड़काव करना जरुरी रहेगा ताकि पूरी मैदान की मिट्टी नीचे बैठकर मैदान समतल हो सके।
▪️ मैदान समतल होने के बाद इसे हरा भरा करना और इसकी हरियाली को मेंटेन करना पड़ेगा।
▪️क्रिकेट की वापसी के लिए पूरे स्टेडियम की व्यवस्था, सुविधा, मैदान की स्थिति, आउट फिल्ड, विकेट , पार्किंग, जैसी कई तरह की रिपोर्ट बीसीसीआई को देना पड़ेगी। जो एक बड़ा मुश्किल काम है ।

क्रिकेट जगत मे ऐसे बदनाम हुआ था स्टेडियम

जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम उस समय बदनाम हो गया जब 25 दिसंबर 1997 को भारत और श्रीलंका के बीच एक वनडे मैच पहली पारी के तीसरे ओवर के बाद रोक दिया गया था , क्योंकि कप्तान और अंपायर इस बात से सहमत थे कि पिच बहुत खतरनाक थी, जिसके लिए मैच रेफरी ने मैच रोकने की सहमति व्यक्त की। बाद में 25,000 दर्शको की भीड़ को शांत करने के लिए बगल की पिच पर 25 ओवर का प्रदर्शनी मैच आयोजित किया गया था। इस घटना के बाद आईसीसी ने स्टेडियम को मैच आयोजित करने से निलंबित कर दिया था।

सरकारी आयोजनों का मुख्य सेंटर बन गया स्टेडियम

नेहरू स्टेडियम से क्रिकेट की बिदाई होने के बाद दूसरी खेल गतिविधियां चल रही है , लेकिन अब स्टेडियम चुनाव गतिविधियों के लिए मुख्य सेंटर बन गया है। इसी प्रकार स्डेडियम का उपयोग सरकारी आयोजन , म्यूजिकल नाइट , जैसे कई तरह के बड़े बड़े आयोजन में हो रहा है। वैसे स्टेडियम चुनाव सामग्रियों के वितरण , मतगणना , प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए सुविधजनक ओर सुरक्षित स्थान है।

1963 से 2001 तक ऐसे चला स्टेडियम का सफर

▪️1963 में हुई थी नेहरू स्टेडियम की स्थापना
▪️पहला वन डे मैच 1
दिसबंर, 1983 को खेला गया था
▪️31 मार्च 2001 को आखिरी मैच खेला गया
▪️38 साल तक स्टेडियम और क्रिकेट का नाता रहा
▪️22 साल से क्रिकेट समेत अन्य खेल बंद है ।