महू: आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति मुसीबत के घेरे में, विश्वविद्यालय से किया सेवानिवृत्त

Akanksha
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महू। डॉ. आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डा. आशा शुक्ला को उनके मूल विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त कर दिया गया है। आपको बता दे कि, डा. शुक्ला भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन विभाग की संचालक के पद पर थीं। डा. शुक्ला के सेवा संवर्ग के निर्धारण और उनकी सेवानिवृत्ति के प्रकरण को फरवरी में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में कार्यपरिषद की बैठक में रखा गया था। जिसके बाद अब कार्यपरिषद ने कई बिंदुओं पर विचार करते हुए उन्हें सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया है।

गौरतलब है कि, विश्वविद्यालय में डा. आशा शुक्ला साल 2006 से महिला अध्ययन विभाग की संचालक के पद पर अस्थायी रूप से नियुक्त की गई थीं। जिसके चलते 62 वर्ष की आयु पूरी होने पर अस्थायी कर्मी को सेवानिवृत्त कर दिया जाता है, लेकिन स्थायी कर्मियों के लिए यह आयु सीमा 65 वर्ष की होती है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने डा. आशा शुक्ला को अपना पूर्णकालिक प्रोफेसर भी नहीं माना है। लेकिन विभाग ने उन्हें महिला अध्ययन केंद्र के अस्थायी संचालक के तौर पर ही मान्यता दी है।

हालांकि कुलपति बन चुकीं डा. आशा शुक्ला के लिए यह स्थिति नुकसानदेह साबित हो सकती है, क्योंकि कुलपति पद के चयन के लिए 10 वर्षों तक एक पूर्णकालिक प्रोफेसर का अनुभव होना आवश्यक है, लेकिन डा. आशा शुक्ला के पास क्लासरूम टीचिंग का अनुभव नहीं है। ऐसे में उनका कुलपति पद पर चयन भी सवालों के घेरे में आ सकता है। डा. शुक्ला के मुताबिक उन्हें यह आदेश अब तक नहीं मिला है। जिसके बाद से ही शुक्ला की नियुक्ति विवादों में रही है। उनके खिलाफ भोपाल की बाग सेवनिया थाने में एफआइआर भी दर्ज की गई थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने कुलपति पद पर नियुक्त होने के लिए फर्जी एनओसी लगाई थी। हालांकि अभी तक इस मामले में डा. शुक्ला को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।