नई दिल्ली। पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के बीच अब वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है। मंत्रालय एक्साइज़ ड्यूटी कम करने के विकल्प पर विचार कर रहा है। एक्साइज़ ड्यूटी काम होने से आम आदमी की जेब में काफी राहत मिल सकती है। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। गौरतलब है कि, पिछले 10 महीनों के दौरान कच्चे तेल के भाव में दोगुनी बढ़त ने भारत में ईंधन के दाम में इजाफा कर दिया है, लेकिन, पेट्रोल-डीज़ल के खुदरा दाम पर आम जनता को करीब 60 फीसदी तक टैक्स व ड्यूटीज़ चुकानी पड़ रही है। वहीं वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से भी आर्थिक गतिविधियों पर भी बुरी तरह प्रभाव हुआ है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयतक देश है।
पिछले 12 महीने में मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स में दो बार बढ़ोतरी की है। इस प्रकार जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव न्यूनतम रिकॉर्ड स्तर पर था, तब भी आम जनता को पेट्रोल-डीज़ल के मोर्चे पर बड़ी राहत नहीं मिल सकी। लेकिन वित्त मंत्रालय अब विभिन्न राज्यों, तेल कंपनियों और तेल मंत्रालय के साथ मिलकर टैक्स कम करने के रास्ते पर विचार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि केंद्र को यह भी देखना है कि टैक्स कम करने से उसके फाइनेंस पर कोई बुरा असर न पड़े। साथ ही एक सूत्र ने बताया कि, ‘हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे कीमतों को स्थिर रखा जाए. मार्च महीने के मध्य तक इस पर कोई फैसला ले सकेंगे।’
गौरतलब है कि, बीते दिन ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि, ‘मैं नहीं कह सकती कि आख़िर कब तक ईंधन पर टैक्स कम होंगे, लेकिन केंद्र और राज्यों को एक साथ मिलकर ईंधन पर टैक्स को कम करना होगा।’ हालांकि, बढ़ती कीमतों के बीच कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स को कम भी किया है।