2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में कांग्रेस, 2004 जैसा करिश्मा दोहराना मुश्किल, इन राजनीतिक पंडितों ने कहीं ये बड़ी बात

ashish_ghamasan
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देश में होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेसी और बीजेपी पार्टी सक्रिय हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी के द्वारा लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कई तरह की रणनीति बनाई जा रही है। कांग्रेस के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 2004 का करिश्मा इस बार मुश्किल भरा हो सकता है। 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद जनता में गुस्सा फूट पड़ा था। यही बोला था कि जनता ने कांग्रेस को सिरे से नकारते हुए सफाया कर दिया था जबकि तेलंगना में राज्य बनाने के से और राजनीतिक रूप से भुनाने में विफल रही थी।

दरअसल कांग्रेस पार्टी में लगाता अंदरूनी कला देखने को मिली थी चुनावी हार ने पार्टी को अपने पुराने किलो में बहुत कमजोर किया था। लगातार दो चुनाव 2014 और 2019 में हार गई थी। कांग्रेस ने पहले ही आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक जगह दी थी। कांग्रेस का आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में दलबल चुनाव की हार और आपसी कलह की वजह से काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा था।

2004 और 2009 में बनी कांग्रेस सरकार

भारत राष्ट्र समिति के साथ एक और कार्यकाल जीतने के लिए खोई हुई इज्जत को हासिल करने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगाएगी, लेकिन यह उसके लिए काफी मुश्किल होगा कि आंध्र प्रदेश एक विभाजन राज्य हैं और कांग्रेस पार्टी का एक अहम गढ़ भी था, लेकिन 2004 और 2009 में कांग्रेस जीत गई थी। इसका नतीजा ये रहा कि कांग्रेस दो बार केंद्र में सत्ता हासिल कर चुकी थी।

2004 की बात करें तो कांग्रेस पार्टी ने आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने के लिए तेलुगू देशम पार्टी के एक दशक से चले आ रहे हैं। लंबे शासन को भी खत्म किया था इतना ही नहीं 42 लोकसभा सीटों में से 30 पर जीत हासिल कर ली थी ।इस दौरान कांग्रेसका यह अहम योगदान माना जा रहा था। इस दौरान इसका मुख्य श्रेय वाईएस राज्सेकर रेड्डी के पास था वहां गरीब समर्थक छवि और किसानों और समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए काम करते थे।

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कोई बात अगर 2009 की करें तो कांग्रेसी एक मजबूत स्थिति में थी इसके पीछे तेलुगू अभिनेता चिरंजीवी के प्रजा राज्य की राजनीति में आने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी को मजबूत बना पाई थी। वही बात 2014 की करें तो तेलंगना को राज्य का दर्जा मिला था। मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी सहित सीमांध्र में कांग्रेसी नेताओं के खुले विद्रोह का सामना किया था। कई शक्तिशाली नेताओं ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी जवानों को देश को विभाजित करने के लिए संसद में 1 बिल भी पारित हुआ था।

बता दें कि साल 2023 के नवंबर दिसंबर में विधानसभा चुनाव होना है इसी का नतीजा तेलंगना में 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत हुई थी। लेकिन सबसे पुरानी पार्टी को मुश्किल का सामना करना पड़ा था।