(अरविंद तिवारी)
बात यहां से शुरू करते हैं…
मि. बंटाधार बनाम घोषणावीर नटवरलाल
2003 में अनिल माधव दवे ने मिस्टर बंटाधार का नारा देकर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ऐसी घेराबंदी करवाई कि यह नारा गली मोहल्लों तक पहुंचा और मध्यप्रदेश में कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हार गई। दिग्विजय सिंह को 10 साल के लिए चुनावी राजनीति से संन्यास लेना पड़ा। अब कमलनाथ के कोर ग्रुप से घोषणावीर नटवरलाल का नारा सामने आया है और इसे आगे बढ़ाकर आज के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घेराबंदी शुरू कर दी है। तब जो काम भाजपा ने किया था, वह अब कांग्रेस कर रही है। देखते हैं यह नारा कितना असरकारक साबित होता, लेकिन जिस अंदाज में इसे आगे बढ़ाया गया है, उससे तो लगता है कि कांग्रेस का सीधा टारगेट शिवराज ही होंगे।
कर्नाटक के नतीजे और मध्यप्रदेश के चुनाव
कर्नाटक के नतीजों के बाद न जाने क्यों मध्यप्रदेश को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश के हालात को कर्नाटक से जोड़कर देखा जाने लगा है। अभी तक दबे स्वरों में अपनी बात कह रहे भाजपाई ही अब मुखर होने लगे हैं। ऐसे ही एक भाजपाई ने पिछले दिनों एक पारिवारिक आयोजन में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के बीच एक सिरे से सरकार और संगठन से जुड़े मुद्दों पर धाराप्रवाह बोलना शुरू कर दिया। इस नेता की बात का लब्बोलुआब यह था कि जिन मुद्दों के कारण कर्नाटक में महज चार साल में ही भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा, वे तमाम मुद्दे मध्यप्रदेश में भी विद्यमान हैं और यही भाजपा के लिए परेशानी का कारण बनेंगे।
महाकाल के दरबार में जीत की अर्जी लगाई थी डीके शिवकुमार ने
कुछ महीने पहले जब डीके शिवकुमार पत्नी के साथ इंदौर आए थे। बरास्ता कमलनाथ सज्जन सिंह वर्मा ने उनकी यात्रा के सारे इंतजाम किए थे और इंदौर से साथ लेकर उज्जैन गए थे। वहां उन्होंने बाबा महाकाल के दरबार में पूजा-अर्चना की थी। तब यह कहा गया था कि वे जीत के लिए बाबा के दरबार में अर्जी लगाने आए हैं। गांधी परिवार के बेहद विश्वसनीय माने जाने वाले शिवकुमार के आत्मविश्वास का अंदाज इसी बात से लग गया था जब उन्होंने डंके की चोट कहा था कि कर्नाटक में हर हालत में कांग्रेस सत्ता में आ रही है। एक-एक विधानसभा क्षेत्र के समीकरण उनकी जुबां पर थे और कहां कौनसा मैनेजमेंट काम करेगा यह वे उंगलियों पर गिना देते थे।
कमलनाथ की नसीहत ने बढ़ा दी अश्विन जोशी की सक्रियता
कमलनाथ की नसीहत के बाद अश्विन जोशी ने इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक तीन की गली-गली में दस्तक देना शुरू कर दी है। हुआ यूं कि अभी भी इंदौर तीन से चुनाव लडऩे की आकांक्षा रखने वाले जोशी पिछले दिनों कमलनाथ से मिले थे। यह मुलाकात शोभा ओझा और महेन्द्र जोशी के माध्यम से हुई थी। जब अश्विन ने कमलनाथ के सामने अपनी बात रखी तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा अभी मैंने तीन नंबर से किसी का टिकट तय नहीं किया है, लेकिन आप सोचो कि आपको घर बैठे ही टिकट मिल जाएगा, तो ऐसा अब संभव नहीं होगा। मेरे पास तीन नंबर की पूरी जानकारी है। आप क्षेत्र में सक्रिय रहिए और क्षेत्र में सक्रियता और लोगों से मिलना-जुलना ही टिकट का पैमाना रहेगी। इसी के बाद अश्विन मैदान में आ गए।
बदले-बदले से हैं विवेक तन्खा इन दिनों
इन दिनों विवेक तन्खा बदले-बदले से हैं। राज्यसभा सदस्य के रूप में दूसरी पारी खेल रहे तन्खा का ज्यादा समय इन दिनों सामाजिक कार्यों में बीत रहा है। अपने पिता और ससुर की स्मृति में स्थापित दो अलग-अलग ट्रस्टों के माध्यम से सामाजिक आयोजनों में बहुत ज्यादा सक्रिय हैं। कपिल सिब्बल द्वारा स्थापित इंसाफ का सिपाही प्रकल्प में भी उनकी बड़ी भूमिका है। अपनी बिरादरी यानि वकीलों के बीच वे आजकल काफी समय दे रहे हैं। तन्खा की यह बदली भूमिका सबका ध्यान खींच रही है। वैसे जिस अंदाज में उनके ट्वीट हो रहे हैं और टीका-टिप्पणी सामने आ रही है, वह कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों के लिए चौंकाने वाली है।
पीछे हटने लगे हैं मुख्य सचिव की दौड़ में लगे अफसर
वैसे तो इकबाल सिंह बैंस के स्थान पर मुख्य सचिव बनने के लिए आधा दर्जन सीनियर आईएएस अफसर कतार में थे, अब स्थिति बदलने लगी है। इस पद के लिए लॉबिंग में लगे अफसर अब बैकफुट पर आ गए हैं। कर्नाटक के नतीजों के बाद इनमें से कई तो अब कहने लगे हैं कि बैंस को ही एक बार और मौका मिलना चाहिए। पुराना अनुभव यह कहता है कि वैसे संधिकाल यानि चुनाव के दौर में अफसर ऐसी नियुक्ति से बचना ही चाहते हैं।
चलते-चलते
इंदौर के अपर कलेक्टर अभय बेडेकर अब लेखक की भूमिका में आ गए हैं। राजीव शर्मा और नियाज अहमद के बाद अब बेडेकर भी इस श्रेणी में आ गए हैं। उनकी नई पुस्तक तारे सितारे जल्दी ही बाजार में आ जाएगी। इस पुस्तक में बेडेकर की कलम से 25 से ज्यादा फिल्मी सितारों की दास्तां को प्रमुखता से रेखांकित किया गया है।
पुछल्ला
पिछले दिनों विधायक महेन्द्र हार्डिया मुख्यमंत्री से मिलने गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा आपकी रिपोर्ट तो अच्छी आ रही है। अब बाबा का जवाब सुनिए, वे बोले इसके बाद भी तो आप मुझे टिकट नहीं दोगे। सुनकर सीएम का चौंकना स्वाभाविक था।
अब बात मीडिया की
दिल्ली में पदस्थ दैनिक भास्कर के पत्रकार अवनीश जैन में पिछले दिनों इंदौर के नेमी नगर में रहने वाले एक कारोबारी को पुलिस घर भेज कर उठवा लिया। अब जरा इसका कारण भी जान लीजिए। जैन इंदौर में एक बंगला बनवा रहे हैं इसके किचन मे लगने वाली चिमनी से जुड़े मुद्दे पर उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग कर यह कृत्य करवाया। सोशल मीडिया पर मामला वायरल होने के बाद इंदौर के जैन समाज ने इस मुद्दे पर कड़ी नाराजगी दर्शाई। मामला भास्कर मैनेजमेंट तक पहुंच गया। वैसे जैन इस तरह की हरकतों के लिए कुख्यात रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक भास्कर के कई ब्यूरो में अहम भूमिका रह चुके आशीष चौहान अब दैनिक भास्कर इंदौर में रीजनल हेड की भूमिका में रहेंगे। वे अभी तक भोपाल में सेवाएं दे रहे थे। अभी तक रीजनल हेड की भूमिका निभा रहे वासु चौहान अब भोपाल भास्कर में सेवाएं देंगे।
न्यूज 24 को अलविदा कहने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार संदीप भम्मरकर जल्दी ही किसी और चैनल में बड़ी भूमिका में नजर आएंगे। भम्मरकर का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ा नाम है।
दैनिक भास्कर, प्रभात खबर और नवदुनिया भोपाल में सेवाएं दे चुकी वरिष्ठ पत्रकार दक्षा वेदकर अब पत्रिका भोपाल में प्लस और झूम की हेड हो गई है।
ब्लेक एंड व्हाइट पत्र समूह के अंग्रेजी संस्करण फस्र्ट प्रिंट में सेवाएं दे चुकी ऐश्वर्या पुराणिक अब टाइम्स ऑफ इंडिया टीम का हिस्सा हो गई हैं।
दैनिक भास्कर (नागपुर-जबलपुर समूह) ने मुंबई में सफलतापूर्वक दस्तक देने के बाद पुणे और नासिक को अपने टारगेट पर लिया है। उक्त दोनों संस्करणों के लिए संपादकीय टीम तैयार की जा रही है।