वर्तमान समय में महिलाओं में अंडाशय और गर्भाशय के कैंसर में काफी ज्यादा बढ़त हुई है, अर्ली एज में होने के साथ इस बीमारी के पैटर्न में भी काफी बदलाव हुए हैं – Dr. Namrata Kachhara Medanta Hospital

Suruchi
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इंदौर। पहले के मुकाबले महिलाओं में अंडाशय और गर्भाशय के कैंसर के केस में काफी ज्यादा बढ़त हुई हैं किताबों में जो इससे संबंधित जानकारी लिखी है और जो हम प्रैक्टिकली देखते हैं इन दोनों में काफी फर्क नज़र आता है। इस बीमारी में बढ़त के साथ साथ इसके पैटर्न में भी काफी बदलाव हुआ है। इन बीमारियों का इलाज अगर समय रहते नहीं किया जाए तो यह मरीज के लिए घातक साबित हो सकती है। जिसमें अंडाशय का कैंसर और बच्चेदानी का कैंसर बहुत मात्रा में बढ़ रहा है। आज इनसे संबंधित हर केस को जेनेटिक स्टडी करना जरूरी हो गया है। वही बच्चेदानी के मुंह का कैंसर तो वैक्सीनेशन और अन्य चीजों से काफी कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन इस पर सही समय पर ध्यान देकर इसका इलाज़ करवाना बेहतर जरूरी हैं। यह बात डॉ नम्रता कछारा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं वह शहर के प्रतिष्ठित मेदांता हॉस्पिटल में स्त्री कैंसर रोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है।

सवाल. अंडाशय के कैंसर के कितने प्रकार होते हैं, क्या यह अलग अलग उम्र में देखने को मिलता है

जवाब. अगर बात अंडाशय के कैंसर की की करी जाए तो यह 18 साल से लेकर 30 साल तक की महिलाओं में यह समस्या देखी जा रही है। इसमें अच्छी बात यह है कि इसमें ट्यूमर को निकालकर सही समय पर इलाज करने से इसे ठीक किया जा सकता है। इसका असर महिलाओं के प्रजनन क्षमता पर नहीं पड़ता है। इसी के साथ 35 साल से लेकर 45 साल तक की महिलाओं में बॉर्डरलाइन ट्यूमर देखा जाता है। यह ट्यूमर नॉर्मल भी नहीं होता है और ना ही इसे कैंसर कहा जा सकता है यह बीच का होता है। लेंकिन इस पर सही समय पर ध्यान नहीं देने से यह कैंसर का रूप ले लेता है जो आगे चलकर घातक साबित होता है।इसी के साथ महिलाओं में 45 साल की उम्र से लेकर 70 साल की उम्र तक स्टेज 3 का कैंसर देखने को मिलता है।

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सवाल. अंडाशय के कैंसर के क्या लक्षण होते है, क्या इसे आसानी से समझा जा सकता है

जवाब. दूसरे कैंसर की तरह ओवेरियन कैंसर का कोई स्क्रीनिंग टेस्ट या कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते हैं जिसे आसानी से समझकर पकड़ा जा सके। अंडाशय की गठान का प्रेजेंटेशन हमेशा टिपिकल होता है। इसमें आमतौर पर पेट जल्दी भर जाना पेट भरा भरा या भारी लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं ।ऐसे में आम तौर पर लोग इसे पेट की समस्या समझ कर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट को दिखाते हैं और इसके ट्रीटमेंट में देरी हो जाती है। अगर ऐसी समस्या बनी हुई है और यह पेट से संबंधित नहीं है और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है तो ऐसे में सोनोग्राफी करवाकर स्पेशलिस्ट को दिखाकर ट्रीटमेंट करवाना बेहद जरूरी है। अगर इस बीमारी को stage-1 में पकड़ा जा सके तो किमोथेरेपी भी लेने की जरूरत नहीं होती है और इसे ट्रीटमेंट के माध्यम से खत्म किया जा सकता है।

सवाल. बच्चेदानी का कैंसर किस कारण से होता है, इसके शुरुआती लक्षण क्या है, वहीं महिलाएं इसे समझने में क्या गलती करती है

जवाब. अगर बात बच्चेदानी या गर्भाशय के कैंसर की करी जाए तो इसमें भी काफी ज्यादा बढ़त हुई है। आज पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज, मोटापा, डायबिटीज यह सब हमारे शरीर में हार्मोंस के लेवल को बढ़ाती है। जिसके कारण बच्चेदानी का कैंसर काफी मात्रा में बढ़ता जा रहा है। पहले आमतौर पर बच्चेदानी का कैंसर 50 साल की उम्र के बाद देखा जाता था लेकिन अब बढ़ते मोटापे और अन्य कारणों से यह 35 साल की उम्र की महिलाओं में भी देखने को मिल रहा है। पहले के मुकाबले अब यह बीमारी अर्ली एज में आने लगी है। बच्चेदानी के कैंसर की समस्या होने पर इसके लक्षण में महिला को महावारी के बाद भी ब्लडिंग बंद नहीं होना, ज्यादा ब्लीडिंग होना, लंबे समय तक होना शामिल है। आमतौर पर महिलाएं इसको नजरअंदाज करती है और इसे महावारी की समस्या समझ कर इस पर ध्यान नहीं देती है। जो आगे चलकर घातक रूप ले लेती है। ऐसे में हमेशा सही समय पर स्क्रीनिंग करवा कर स्पेशलिस्ट के मार्गदर्शन में इलाज करवाना सही होता है।वही इस बीमारी से भविष्य में बचने के लिए मोटापे से बचना बेहद जरूरी है क्योंकि इस तरह की बीमारी में 80% कारण मोटापा होता है आप जितने दुबले रहेंगे उतना बेहतर है।

सवाल. क्या हमारी बदलती जीवनशैली, खानपान ने बिमारियों को बढ़ावा दिया है

जवाब. पहले के मुकाबले हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा बदलाव आए हैं जिस वजह से कई बीमारियो ने जन्म लिया है। जिसमें बढ़ता प्रदूषण, जीवनशैली, खानपान शामिल है।अगर महिलाओं में होने वाले रोगों की बात की जाए तो बीमारियां तो लगभग पहले के समान है लेकिन इसका एक सकारात्मक पहलू यह है कि ट्रीटमेंट और टेक्नोलॉजी काफी एडवांस हो गई है जिसकी वजह से किसी भी बीमारी को आसानी से पकड़ कर उसका इलाज करना संभव हो गया है। वही सर्जरी में भी लेप्रोस्कोपी, माइक्रोस्कोपी से कम समय में बेहतर रिजल्ट हासिल होते हैं।

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सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई कहां से और किस क्षेत्र में पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई इंदौर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की। इसी के साथ एमजीएम मेडिकल कॉलेज से गाइनेकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन की पढ़ाई पूरी की। देश के प्रतिष्ठित साउथ के रीजनल कैंसर सेंटर से मैंने स्त्री रोग कैंसर में सुपर स्पेशलाइजेशन किया और वहां पर एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कई सालों तक अपनी सेवाएं दी। इसी के साथ मैने महिलाओं में होने वाले कैंसर की ट्रेनिंग और कई फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया जिसमें अमेरिका, फ्रांस के आईएआरसी और अन्य बड़े संस्थानों में जाकर इसमें दक्षता हासिल की। अभी वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित मेदांता हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रही हूं इससे पहले मैने बॉम्बे हॉस्पिटल और देश के अन्य संस्थानों में अपनी सेवाएं दी है।