इंदौर। पहले के मुकाबले कुछ सालों में वैक्सीनेशन और स्वच्छता के चलते इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों के पैटर्न में थोड़ा बदलाव और कमी आई है जिसमें हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस ई के इन्फेक्शन में कमी देखने को मिलती है। इसी के साथ बढ़ते अल्कोहल और बदलती जीवनशैली से पेट में होने वाली दूसरी बीमारियों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिसमें अल्कोहल के बढ़ते इस्तेमाल से अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, अल्कोहलिक सिरोसिस, फैटी लीवर, और अन्य बीमारियों में बढ़त देखने को मिल रही है। इसी के साथ पहले के मुकाबले ब्लड प्रेशर डायबिटीज के पेशेंट में भी काफी बढ़ोतरी हुई है जो कई बीमारियों को बढ़ावा देती है। यह बात डॉ हरी प्रसाद यादव ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित मेदांता हॉस्पिटल में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट मैं एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. अल्कोहल के ज्यादा इस्तेमाल से किस प्रकार की बीमारी जन्म लेती है, क्या इसके लक्षण शुरुआत में पहचाने जा सकते है
जवाब. अल्कोहल का ज्यादा सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक होता है यह कई बीमारियों को जन्म देता है। अगर बात अल्कोहल के सेवन से होने वाली बीमारियों की करी जाए तो इसमें काफी इजाफा हुआ है इसमें सबसे ज्यादा यंग एज और मिडल एज के लोग शामिल हैं। जिसमें अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, अल्कोहलिक लीवर डिजीज, लीवर सिरोसिस, लीवर कैंसर, और अन्य बीमारियां शामिल है। आमतौर पर अल्कोहल के ज्यादा इस्तेमाल से यह बीमारीयां बढ़ जाती है इस वजह से कई बार मरीजों की जान तक चली जाती है। लिवर से संबंधित सभी बीमारियां जो अल्कोहल और बिना अल्कोहल से संबंधित होती है, उनमें शुरुआत में किसी प्रकार के कोई लक्षण देखने को सामने नहीं आते हैं लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती जाती है लक्षण सामने आते रहते हैं। जिसमे उल्टियां होना, बुखार, ज्वाइंडिस कमजोरी, खून की उल्टी, वजन का घटना और अन्य लक्षण देखने को मिलते हैं वही आखरी में ऑर्गन के फेल होने की संभावना बढ़ जाती है।
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सवाल. फैटी लीवर क्या है, इसके होने के क्या कारण है
जवाब. लिवर के वेट में फैट का जमा हो जाना फैटी लीवर की निशानी है। यह आमतौर पर उन लोगों को अपना शिकार बनाता है जिनका वजन सामान्य से ज्यादा होना, ब्लड प्रेशर, अनकंट्रोल्ड डायबिटीज, ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होना होता है। इन सब चीजों की वजह से लीवर धीरे-धीरे डैमेज हो जाता है। इसमें अगर एज फैक्टर की बात की जाए तो यह मिडिल एज और यंग एज में ही शुरू हो जाता है। इसी के साथ एक उम्र के बाद लिवर डैमेज के लक्षण देखने को मिलते हैं। हमारी बदलती जीवन शैली और खानपान के चलते शरीर में फेट का जमाव होने लगता है धीरे-धीरे यह लीवर को अपना शिकार बना लेता है इस वजह से इस तरह की बीमारियां देखने को सामने आती है।
सवाल.क्या पेट से सबंधित समस्या में बदलाव हुए है, हमारी बदलती जीवनशैली इसके लिए किस हद तक जिम्मेदार हैं।
जवाब. अगर बात पेट से संबंधित कैंसर की करी जाए तो इसमें भी पिछले कुछ सालों में बढोतरी देखने को मिल रही है। जिसमें इंटेस्टाइन कैंसर, लिवर कैंसर, पेनक्रियाज कैंसर और अन्य प्रकार की पेट से संबंधित बीमारियां बढ़ रही है जैसे-जैसे हम वेस्टर्न कंट्री की तरह बदलाव हमारी जीवनशेली में हो रहा है उसी प्रकार बीमारी के पैटर्न में भी बदलाव देखने को मिल रहे है। आज हमारा पहले के मुकाबले वर्किंग पैटर्न, खानपान, लाइफस्टाइल और सारी चीजें लगभग पूरी तरह बदल गई है। आज के दौर में स्मोकिंग, गुटका तंबाकू, धूम्रपान, अल्कोहल और अन्य नशीले पदार्थों ने हमारी लाइफ में जगह बना ली है। इसी प्रकार हमारे द्वारा खाए जाने वाले फल और सब्जियां भी केमिकल से तैयार की जाती है जिस वजह से इस प्रकार की बीमारियां देखने को मिल रही है।
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सवाल. बच्चों में पेट से संबंधित किस प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है
जवाब. बड़ों के मुकाबले बच्चों में अलग प्रकार की पेट में इंफेक्शन से संबंधित समस्या देखने को मिलती है जो कि बड़ों के मुकाबले थोड़ी अलग होती है बच्चों में डायरिया, जन्मजात समस्याएं, इंटेस्टाइन विकार, लिवर से संबंधित मेटाबॉलिक प्रॉब्लम और अन्य प्रकार की समस्याएं बच्चों में देखने को मिलती है। आज के दौर में बीमारियां अगर बढ़ी है तो इसका सकारात्मक पहलू यह है कि टेक्नोलॉजी में भी काफी बदलाव हुए हैं सही समय पर इसकी जांच कर इलाज़ करवाने से बीमारियों से निपटना आसान होता है।
सवाल. क्या किसी बीमारी को खत्म करने के लिए प्रिकॉशन जरूरी है, यह किस प्रकार काम करता है
जवाब. हर बीमारी के लिए अलग-अलग प्रकार की प्रिकॉशन होती है लेकिन जब हम किसी बीमारी के लिए प्रिकॉशन लेते हैं तो वह सिर्फ एक ऑर्गन को नहीं जबकि पूरी बॉडी को फायदा पहुंचाती है। यदि कोई व्यक्ति अल्कोहल और स्मोकिंग को छोड़ता है तो इससे पेट, लीवर के साथ बॉडी के अन्य ऑर्गन फायदा होता है। अगर हम खानपान और जीवन शैली में बदलाव करते हैं तो निश्चित इसका फायदा हमारे पूरे शरीर के ऑर्गन को मिलता है और इससे हमारा स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इसमें बैलेंस डाइट, एक्सरसाइज और बेहतर जीवन शैली हर बीमारी को खत्म या कम करने का सबसे बेहतर उपाय है।
सवाल. आपने-अपनी मेडिकल फील्ड की शिक्षा कहां से पूरी की
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से पूरी की इसके बाद गैस्ट्रोलॉजी में डीएम पीजीआई चंडीगढ़ से कंप्लीट किया। डीएम की पढ़ाई पूरी करने के बाद पीजीआई चंडीगढ़ में 1 साल के फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया। इसके बाद गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट मैं कई ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेकर इस में दक्षता हासिल की। मैं अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित मेदांता हॉस्पिटल में गैस्ट्रोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट में एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं मेदांता से पहले शहर के प्रतिष्ठित एमवायएच अस्पताल, सीएचएल और सिनर्जी में भी अपनी सेवाएं दी है।