इंदौर के सबसे पुराने रामबाग मुक्तिधाम के विकास समिति ने हाल ही वहां ग्यारह वर्षों से शवों का दाह संस्कार काम व्यवस्थित करने वाले मेहनतीं कर्मी को वहां चल रहे आर्थिक गैर व्यवहार की जानकारी उजागर करनेपर बर्खास्त कर दिया है! कोरोना काल मे धधकती हुई चिताएँ, मरीजों से भरे हॉस्पिटल, तनाव से परेशान उनके परिजन, सजी हुई अर्थी, दर-दर भटकते परिजन, भूख से तड़पते राहगीर यहीं मंजर चारों ओर था। चारों ओर हताशा- निराशा का माहौल था और दिन ब दिन इस भयावह माहौल में तेजी से इजाफा हो रहा था। कोरोना काल के पूर्व शवों का दाह संस्कार करना बहुत तकलीफ दायक या बड़ी समस्या की बात नहीं थी।
लेकिन जब से कोरोना की वजह से मौते होने लगी थी। तबसे ये काम बेहद तनाव देनेवाला, साहसपूर्ण और चुनौतीभरा हो गया था। इसी रामबाग स्मशान भूमि – मुक्तिधाम पर वहाँ के निर्भीक सेवाभावी कर्मचारी गणेश गौड़ इस काम को अच्छे ढंग से अंजाम देते हुए दिखाई देते रहे। जिससे शोक संतप्त परिवारजनों को कोई समस्या नही रही। *उन्हें इस बारे में कोई तनाव नही रहा। इसके अलावा भी गणेश भाई उन्हें बड़े प्रेम से सहयोग- मार्गदर्शन हिम्मत देते थे। उनदिनों कोविड हो अथवा नॉन कोविड शव हो, के दाह संस्कार के लिये पीपीई किट पहनना जरूरी हो गया था। उस समय की कोरोना लहर में मुक्तिधामो की हालत जगजाहिर थी। उसी में मेहनतकश- गजब की हिम्मतवाला गणेश पूरे समय पीपीई किट धारण किये हुए रहता था।
अपनी जान जोखिम में डालकर शव को शव वाहिनी से उठाकर दाह संस्कार के स्थल के करीब रखते थे। बाद में चिता के लिये वजन के अनुसार कौनसी लकड़ी कहाँ लगाना होती है, इसकी पुरी जानकारी होने से वह चिता भी व्यवस्थित जमा देते थे। *ऐसे में जबकि दाह संस्कार के समय दिवंगत व्यक्ति के परिवार के 4 – 5 सदस्य भी शव से काफी दूरी पर खड़े रहते थे। उन दिनों बड़े बड़े निडर- बहाद्दर शख्स भी उनदिनों मुक्तिधाम जाने से डर रहे थे। ज्यादातर लोग कोविड गाईड लाईन का पालन करते हुए अपने घरों में ही सुरक्षित रहते थे। ऐसे में खुशमिजाज गणेश अपने चार छोटे- मासूम बच्चों – परिवार से दूर रहकर ये अतुलनीय सेवाकार्य दिन और देर रात तक कर रहा था। कई मर्तबा उन्हें एक समय का खाना खाने के लिये समय नही मिलता था। फिर भी पूरे जोश व ऊर्जा के साथ भिड़े रहते थे।
सदरबाजार इलाके के बक्षीबाग के रहिवासी रहमदिल-नेकदिल बाशिंदे बावन वर्षीय गणेश के परिवार में पत्नी, दो बेटे और दो बेटियां है। उस भयानक माहौल में उनके दिलों पर क्या गुजरती होगी ? किस हालत में जी रहे होंगे ? इसकी कल्पना की सहज की जा सकती है। इस तरह की मानव सेवा करनेवाले नरम स्वभावा के सेवाभावी कोरोना योद्धा गणेश को मुक्तिधाम समिति के सर्वेसर्वा सुधीर दांडेकर ने बेबुनियाद ढंग से सेवामुक्त कर दिया है ,ऐसी चर्चा है । एक गरीब सेवाभावी व्यक्ति के जिंदगी से सरासर खिलवाड़ की है। इस तानाशाहीपूर्ण कार्यवाही की सर्वत्र विपरीत प्रतिक्रिया व्याप्त है । विकास समिति के कुछ सदस्य दबी जुबां से दश पिंड और मुक्तिधाम का हिसाब किताब भी अपडेट नही होने व गड़बड़ी की बातें भी कर रहे है। जिसका ऑडियो रिकार्डिंग भी है। दांडेकर कहेंगे वहीं ” पूरब दिशा ” तरह से काम चल रहा है। पूर्व पार्षद दीपिका नाचन-शेखर किबे *और पूर्व पार्षद अर्चना चितले के पति सच्चिदानंद चितले भी समिति से दूर हो गये है।
अनिलकुमार धड़वईवाले , इंदौर