अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा में बावनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम की फांसी एक बार फिर टल गई। दरअसल, अमरोहा में जनपद न्यायालय ने अभियोजन से कातिल शबनम का ब्यौरा मांगा था। लेकिन शबनम के अधिवक्ता की ओर से राज्यपाल को दया याचिका दाखिल कर दी गई थी। फिर से दया याचिका दाखिल होने के कारण फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हो सकी है।
आपको बता दें कि, मंगलवाल (आज) शबनम की फांसी को लेकर जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई। पहले से ही सबका अनुमान था कि जिला जज की अदालत में शबनम की रिपोर्ट सौंपी जाएगी और अगर इस रिपोर्ट में कोई याचिका लंबित नहीं पाई गई। तो शबनम की फांसी की तारीख तय की जा सकती है। हालांकि शबनम के वकील ने कुछ दिन पहले ही फिर से दया याचिका के लिए राज्यपाल से गुहार लगाते हुए जिला जेल रामपुर प्रशासन को प्रार्थनापत्र सौंपा था। जिसके बाद आज सुनवाई में इसी का जिक्र हुआ, जिसके कारण फांसी की तारीख को टाला गया।
ज्ञात हो कि, 14 /15 अप्रैल 2008 की दरम्यानी रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दोनों की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका भी ख़ारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि 14 /15 अप्रैल 2008 की दरम्यानी रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दोनों की फांसी की सजा बरकरार रखी थी. दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका भी ख़ारिज कर दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने भी शबनम की दया याचिका को ख़ारिज कर दिया।
आपको बता दे कि, पिछले हफ्ते अपने 12 साल के बेटे से मिलकर शबनम फुट-फूटकर रो पड़ी और खुद को निर्दोष बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की। साथ ही शबनम के बेटे ताज के परवरिश कर रहे उस्मानी सैफी ने बताया कि रामपुर जेल में जब उसने शबनम से पूछा की क्या उसने यह गुनाह किया है। तो उसने इनकार कर दिया और सीबीआई जांच की बात कही।