मंगलवार को विश्व मलेरिया दिवस है, जो हर साल की 25 अप्रैल को होता है। यह बीमारी संक्रमित मच्छरों के काटने से लोगों में फैलने वालें इन्फेक्शन के कारण हो जाती है। इससे निपटने के लिए दुनियाभर में जो एक्शन लिए जा रहे है उन्हे याद दिलाने के लिए इस दिन का महत्व है। इस दिन में मलेरिया को कंट्रोल करने वाली स्कीम के बारे में लोगो को जागरूक करने और उसके रोकथाम के लिए काम करने को लेकर यह दिन डेडिकेट किया गया है।
वहीं, आपको विश्व मलेरिया दिवस पर इसके लिए साइंटिस्टों द्वारा निर्मित नए टीके के बारे में बताते हैं। इस टीके को R21/ Matrix-M कहा जाता है। यह वैक्सीन दुनिया की पहली ऐसी वैक्सीन है जिसने WHO के 75% टारगेट को पार कर लिया है। इस कारण अब विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वैक्सीन को मंजूरी देने के बारे में सोच रहा है। जबकि दूसरी ओर घाना दुनिया का पहला देश है जिसने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस वैक्सीन को बनाया है, वहीं घाना में 5 से 36 महीने के बच्चों के लिए फूड एंड ड्रग्स अथॉरिटी ने इस वैक्सीन की मंजूरी दे दी है। इसी उम्र के बच्चों में मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा देखने को मिलता है।
वहीं, लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसार यह उम्मीद की जा रही है कि घाना और अफ्रीकी बच्चे इस वैक्सीन की सहायता से मलेरिया को हरा देंगे। वहीं, इस वैक्सीन के चीफ इन्वेस्टीगेटर और यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हिल ने बताया कि यह मलेरिया की वैक्सीन ऑक्सफोर्ड के 30 सालों की रिसर्च की मेहनत का फल है।
वहीं, इस वैक्सीन को आपूर्ति को लेकर यह बात सामने आई है कि अभी फिल्हाल उन देशों को पर्याप्त मात्रा में दी जाएगी जिन्हे इस वैक्सीन की सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
वहीं, आपको बता दें कि बीते कुछ दशकों में 100 से भी ज्यादा मलेरिया वैक्सीन बनाई गई है। लेकिन, अभी तक किसी ने भी WHO के मलेरिया वैक्सीन टेक्नोलॉजी के रोडमैप पर 75% से ज्यादा असर नहीं दिखा पाई है।
वहीं, देश में ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ बायोटेक्नोलॉजी के लिए माने जाने वाली बड़ी कंपनी अब इस R21 वैक्सीन के निर्माण में लगी हुई है। इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया है कि मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में घाना के अधिकारियों द्वारा वैक्सीन का लाइसेंस मिल का पत्थर साबित होगा।