पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। 8 मई को भारत ने आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान स्थित नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव में तेज़ी आई। भारत की जवाबी कार्रवाई ने पाकिस्तान को दबाव में ला दिया, जिसके बाद 10 मई को पाकिस्तान ने संघर्षविराम की अपील की। अब, जब भारत के पास पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों के पाकिस्तान से संबंध होने के ठोस प्रमाण हैं, वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर आक्रामक और सख्त रुख अपनाने की तैयारी में है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) भेजने की तैयारी में है। वहां 1267 प्रतिबंध समिति (Sanctions Committee) की आगामी बैठक में पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता से जुड़े प्रमाण प्रस्तुत किए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि भारत के पास ऐसे ठोस सबूत हैं जो दर्शाते हैं कि पहलगाम हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सीधी भूमिका रही। इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ (TRF) नामक संगठन ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध एक नया समूह है। हमले के बाद भारतीय सेना ने एलओसी पर जवाबी कार्रवाई तेज कर दी, जिससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया।

भारत का पाकिस्तान के खिलाफ विरोध, जानें वजह ?
भारत लगातार इस समिति के समक्ष पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों की गतिविधियों का मुद्दा उठाता रहा है। भारत की मांग है कि पाकिस्तान की सरजमीं से भारत पर हमले करने वाले आतंकवादियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित किया जाए। हालांकि, कुछ मामलों में चीन जैसे स्थायी सदस्य देशों ने इन प्रस्तावों को अवरुद्ध किया है, जिसके कारण भारत के प्रयासों को कई बार विफलता का सामना करना पड़ा है।
UNSC 1267 समिति, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक पहल
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 प्रतिबंध समिति की स्थापना 1999 में प्रस्ताव 1267 के तहत की गई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य तालिबान, ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा से जुड़े व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करना था। समय के साथ, इस समिति का दायरा बढ़ा और अब यह इस्लामिक स्टेट (ISIS) सहित अन्य आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगियों पर भी प्रतिबंध लागू करती है।