आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी जो एकादशी तिथि आने वाली हैं वो असल में वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की वरुथिनी एकादशी है। इसी के साथ वैशाख की एकादशी पर जल दान करने का अलग ही महत्व होता है। क्योंकि इस वक्त गर्मी अपनी चरम सीमा पर होती है। ऐसा कहते हैं कि वरुथिनी एकादशी पर पानी से भरा घड़ा दान करने और आने जाने वालों के लिए पब्लिक प्लेस पर प्याऊ लगाने से कई जन्मों के दोषों से निजात मिलती है। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी और श्री हरि नारायण की कृपा से जातक का शरीर हेल्दी रहता है। इस वर्ष वरुथिनी एकादशी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन योग में व्रती की पूजा और दान का कई गुना अधिक फल प्राप्त होता हैं।
आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी पर पूजा का मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि
हिंदू धर्म में भगवान श्री विष्णु को विश्व का पालनहार माना गया है। जिनकी पूजा-आराधना के लिए प्रत्येक मास में पड़ने वाली एकादशी तिथि को बहुत अधिक और शीघ्र ही फलदायी माना गया है। हिंदू पंचांग के मुताबिक लक्ष्मी संग भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसाने वाला वरुथिनी एकादशी का पर्व इस वर्ष16 अप्रैल 2023 को पड़ने जा रहा है। इस पावन तिथि पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत, जप और पूजा-पाठ की परंपरा है।
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वरुथिनी एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त और पारण का समय
वैशाख माह में वरुथिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और 16 अप्रैल की सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के द्धारा वरुथिनी एकादशी का व्रत 16 अप्रैल 2023, रविवार को रखा जाएगा। वहीं एकादशी तिथि के पारण का समय सुबह 05 बजकर 54 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
वरुथिनी एकादशी के उपाय
- वरुथिनी एकादशी व्रत के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा पाठ करने के साथ पीले रंग का पुष्प अवश्य ही अर्पित करें। इसके साथ ही ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय’ मंत्र का 11 बार जाप करें। इससे जातक के ऊपर भगवान विष्णु की अपार कृपा होती हैं एवं साथ ही व्रती मनुष्य के घर में सुख-समृद्धि का वास होता हैं।
- इस दिन सुख-समृद्धि पाने के लिए वरुथिनी एकादशी तिथि पर तुलसी माता की भी विधिवत पूजा करें। फिर अंत में तुलसी जी के पौधे के नीचे की मिट्टी अपने और अपनी फैमिली के अन्य मेंबर के शीश पर लगा दें। ऐसा करने से आपके गृह में सुख-शांति के साथ धन धान्य भी भरा रहेगा।
- धन लाभ के लिए वरुथिनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु को पीले रंग के पुष्प चढ़ाएं। साथ ही जगत पालनकर्ता अर्थात श्री हरि को चंदन, नैवेध, भोग आदि लगाएं। इसके साथ ही माता लक्ष्मी की भी प्रभु विष्णु के साथ पुरे विधि विधान के साथ पूजा करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अत्यंत ही प्रसन्न होती हैं एवं जातक के जीवन को धन ऐश्वर्य से भर देती हैं।
- अपने जीवन के समस्त कष्टों से निजात पाने के लिए वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर अभिषेक करें। इसके बाद शेष बचे हुए जल को अपने घर के समस्त मेंबर के ऊपर छिड़कें। इससे आपके एवं आपके परिवार से संकट के सभी बादल छट जाएंगे।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा तुलसी दल के बिना बिलकुल अधूरी मानी जाती है। यदि वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पूजा में तुलसी के पत्तों की माला चढ़ाएं। जिससे व्रती को बहुत अधिक लाभ होता है।