जल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। हमारी लाइफ में पानी का क्या रोल है, यह हर कोई बखूबी जानता है। धरती के 71% हिस्से पर पानी है लेकिन पीने योग्य पानी केवल 3 फीसदी है। विश्व भर में आज भी पीने योग्य पानी के लिए लोग तरसते हैं। वहीं जैसे से पीने लायक पानी पृथ्वी से छूमंतर होता जा रहा है, इसको देखते ही आने वाली पीढ़ी के लिए शुद्ध साफ और मीठा जल बचा पाना मुश्किल लग रहा है। इसीलिए लोगों को जल का महत्व समझाने और जल का संरक्षण करने के लिए हर साल हम 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाते हैं।
“जल ही जीवन है ” यह सिर्फ एक छोटी-सी लाइन नहीं, बल्कि इसमें एक गहरी बात समाई हुई है। क्योंकि, हम जल के बिना हमारे जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। देश-दुनिया में कई ऐसी जगह है जहां पानी की कमी हमेशा बनी रहती है।
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जल दिवस का इतिहास
विश्व जल दिवस का प्रस्ताव पहली बार 1992 में ब्राजील में पर्यावरण विकास सम्मेलन कार्यक्रम में रखा गया था।जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1992 में बनाया था उसके बाद 1992 में विश्व जल दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित हुआ और तभी से हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। पहली बार विश्व जल दिवस 22 मार्च 1993 में मनाया गया था।
इस बार की थीम
हर साल विश्व जल दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य है लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करना और सभी लोगों को तक स्वच्छ जल पहुंचाना। हर साल की तरह इस बार भी संयुक्त राष्ट्र ने एक थीम को निर्धारित किया है। विश्व जल दिवस 2023 की थीम है- Accelerating the change to solve the water and sanitation crisis यानी की परिवर्तन में तेजी लाई जाएं। इसका अर्थ हुआ कि जल और स्वच्छता के संकट को हल कर के दूर करने के लिए परिवर्तन में तेजी लाना है।