इंदौर। किताबों से अच्छा कोई दोस्त नहीं हो सकता, मनुष्य के जीवन में किताबें सबसे अच्छी साथी होती है। शहर की नेहरू पार्क स्थित लाइब्रेरी 45 साल से शहर में किताबों का संग्रहण लिए काबिज है। मात्र 2 रूपए माह के खर्च से यहां से साहित्यिक किताबों से कई लोग रूबरू होते हैं। कहा जाता है 1967 में अभिनव कला समाज के तलघर में इसकी शुरुआत हुई थी। इस लाइब्रेरी को 1998 में नेहरू पार्क में स्थापित कर दिया गया था, तब से यहां यह लाइब्रेरी चल रही है। जो अब स्मार्ट सिटी के ऑफिस के नाम से मशहूर है।
136 रुपए में से 100 रुपए होते है डिपॉजिट फीस
किताबों के इस साहित्य को पढ़ने के लिए 136 रुपए माह मेंबरशिप चार्ज देना होता है। जिसमें 100 रुपए डिपॉजिट फीस है जो कि मेंबरशिप छोड़ने पर दे दिए जाते है। वहीं 2 रुपए माह के हिसाब से 24 रुपए चार्ज देय होता है, वहीं 10 रुपए पहली बार मेंबरशिप पर लिया जाता है। जिसमें एक पुस्तक और एक पत्रिका मेंबर्स को 15 दिन के लिए दी जाती है ताकि वह अपने घर ले जाकर उसे आराम से पढ़ सके। अभी 6 हजार के करीब लोगों ने मेंबरशिप ले रखी है, लेकिन 500 मेंबर्स एक्टिव रूप से इन किताबों को लाते ले जाते हैं।
28 हजार से ज्यादा किताबें है संग्रहण में
लगभग 45 साल पुरानी इस लाइब्रेरी में 28 हजार से ज्यादा किताबे रखी है जिसमें, साहित्यिक, दार्शनिक, सामाजिक, महापुरुषों की जीवनी, कविताओं पर आधारित किताब, कहानी, एकांकी, धार्मिक, राजनीति पर आधारित और अन्य प्रकार की किताबें शामिल हैं। महापुरुषों में महात्मा गांधी, सरदार पटेल, बाल गंगाधर तिलक, जवाहरलाल नेहरु, एपीजे अब्दुल कलाम आजाद, और अन्य लोगों की जीवनी पर आधारित किताबें यहां रखी है है।
ज्ञान पात्र में लोग दान करते किताबे
लाइब्रेरी में एक साहित्य ज्ञान पात्र रखा हुआ है, जिसमें शहर के कई लोग उनके पास रखी किताबें लाइब्रेरी को दान कर जाते हैं, लगभग हर सप्ताह 10 से 15 किताबें दान में आ जाती है जिसे लाइब्रेरी द्वारा संग्रहण में रख लिया जाता है। 45 साल से ज्यादा इन किताबों के रखरखाव के लिए अलमारियां, और इन्हें सुरक्षित रखने के लिए अन्य केमिकल रखा जाता है, ताकि कोई जीव जंतु इन्हें नुकसान ना पहुंचा सके। इसी के साथ इन सारी किताबो को महीने में 2 बार बाहर निकालकर अलमारी और किताबों को साफ किया जाता है।