इंदौर। भारत का नाम का असली अर्थ क्या है इसे समझने की जरूरत है अगर आप इसे समझ गए तब सही मायने में आपको पता चलेगा कि हम भारतवासी कितने पुण्यवान है। भा का अर्थ है धर्म और रत याने रमा हुआ जो धर्म में रमा हुआ है वह भारत है। सांवेर में मंत्री तुलसी सिलावट के मार्गदर्शन में आयोजित रामकथा में संत प्रेमभूषण जी महाराज ने भारत नाम की व्याख्या के साथ यह भी कहा कि हिमालय से लेकर सिन्धु सरोवर तक देवताओं द्वारा जो निर्मित है वह हिंदुस्थान है। आपने शहरों के नाम बदलने को लेकर कहा कि पहले सांस्कृतिक नामों को ही बदल दिया गया था अब बदला जा रहा है जो सही था वही हो रहा है। हम लोग कब तक संकोच में रहेंगे। आपने कहा सनातन में सबकुछ सत्य ही है । हमारे यहां पर सब कुछ नियत है जहां से सूर्य निकले वह पूर्व दिशा। आपने यह भी कहा कि सनातन की लोकप्रियता तेजी से बढ रही है यूरोप में हरे कृष्णा हरे रामा गाया जा रहा है इसके अलावा अन्य देशों में भी सनातन के प्रति रुचि बढी है।
प्रभु श्री राम के जन्म के साथ ही तीनों भाईयों के जन्म की कथा भी सुनाई और फिर गुरुओं से चारों भाईयों के नामकरण की बात भी बताई और इसी तारतम्य में आपने कहा कि वर्तमान में बच्चों के नाम रखने की अलग ही परंपरा है नाम सुनकर ही आश्चर्य होता है। चक्रवर्ती महाराज दशरथ जी ने गुरुओं से आज्ञा लेकर पूजन करवाया और नामकरण संस्कार हुआ। आपने कहा कि नामकरण करने का अधिकार उसे है जो परिवार में श्रेष्ठतम हो परंतु आजकल कोई भी कर देता है। गुरु वशिष्ठ जी ने राम जी का नाम रखते हुए अनेक उपमाएं दी है और कहां कि राजन इनके अनेक नाम है क्योंकि यह अनुपम है। भरत,शत्रुघ्न और लक्ष्मण के नाम रखे गुरु वशिष्ठ ने। प्रभु श्री राम ने किस प्रकार से शिशु लीला की वह भी विस्तार से बताया कि किस प्रकार माता को ब्रह्मसाक्षात्कार करवाया। आपने कहा कि कोविड के दौरान हम हमारी पुरानी संस्कृति को अपनाने के लिए प्रेरित हुए थे परंतु अब सब कुछ भूल गए हैं और खड़े-खड़े ही खाने की बफेट पद्धति को पुनः अपनाने लग गए हैं पहले हम हाथ धोते थे और नीचे बैठकर खाना खाते थे।
टिकट ही नहीं हुआ इसलिए तीर्थ नहीं किया
आपने कहा कि लोग तीर्थ स्थलों और मंदिरो का दर्शन करने इस कारण नहीं जा पाते क्योंकि टिकट नहीं हो पाया। आपने कहा कि आप उसको सब कुछ सौंप कर देखे परमात्मा स्वयं व्यवस्था करता है। आपने जीवन में सहजता का महत्व भी बताया और कहा कि किस प्रकार से माया महाठगिनी है जिसके कारण हम मैं मेरा करने लगते है अगर हम यह मानने लग जाए कि यह शरीर सहित सब कुछ परमात्मा का दिया है तब माया का असर नहीं होगा।
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राम कथा के बारे में आपने आगे बताया कि किस प्रकार से यज्ञोपवीत के पश्चात विद्या अध्ययन के लिए प्रभु श्री राम अपने भाईयों के साथ आश्रम गए।आपने कहा कि किस प्रकार से प्रभु श्री राम माता पिता का सम्मान करते थे और उनकी आज्ञा के बिना कुछ नहीं करते थे। आपने कहा कि वर्तमान में पिता परेशान रहते है कि बच्चे कुछ तो उनकी सुन ले। सांवेर में आयोजित रामकथा में बडी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ साधु समाज भी रामकथा सुनने के लिए आया था। रामकथा सुनने के लिए विधायक रमेश मेंदोला के अलावा भाजपा के पूर्व विधायक श्री सुदर्शन गुप्ता पूर्व सांसद व संगठन मंत्री श्री कृष्ण मुरारी मोघे जी ,सावन सोनकर जी ,पद्मश्री जनक पलटा, अन्ना महाराज, कुलपति रेनू जैन, मीर रंजन नेगी, और अलीजा सरकार पंचकुइया धाम और अन्य अतिथिगण भी मौजूद थे।