हर हिंदू परिवार में छोटा ही सही एक पूजा घर जरूर होता है। मंदिर होने से आस पड़ोस का माहौल शुद्ध और पॉजिटिव एनर्जी से भरा रहता है। लेकिन आपको यहां बता दें कि पूजा घर को सही दिशा में रखना बहुत आवशयक हैअन्यथा अशुभ फल मिल सकता है। घर में पूजा स्थल/मंदिर सदैव ईशान कोण में रहना चाहिए। यह दिशा देवी-देवताओं की मानी जाती है। वहीं वास्तु शास्त्र में मंदिर में धार्मिक चिन्हों का भी खास महत्व बताया गया है। वास्तु के अमुसार, पूजा घर पर स्वास्तिक, श्री और ओम जैसे धार्मिक प्रतीक होने से धन की देवी लक्ष्मी की असीम कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही दांपत्य जीवन सुखमय और खुशहाल बना रहता है।
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स्वास्तिक बनाने के फायदे
घर के प्रवेश द्वार और पूजा स्थल में स्वास्तिक बनाने से वास्तु दोष दूर होता है। इन दोनों स्थानों पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और उसके नीचे शुभ लाभ लिख दें। ऐसा करने से आपके घर परिवार में हमेशा पॉजिटिव एनर्जी बनी रहेगी। साथ ही देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा भी बनी रहेगी। ख्याल रखें कि स्वास्तिक का चिन्ह 9 उंगली लंबा और चौड़ा होना चाहिए।
कलश बनाने के लाभ
अपने मकान के पूजा घर पर सिंदूर से मंगल कलश का चिन्ह बनाने से हर तरफ की अड़चन व समस्या दूर हो जाती है। वास्तु के मुताबिक, मंगल कलश मां लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता है। यही वजह है कि इसे बनाने से प्रत्येक घर-परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
ओम प्रतीक बनाने के फायदे
घर के पूजा स्थल में केसर या चंदन से ओम प्रतीक बनाना बेहद शुभ माना जाता है। इससे स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है। ओम का प्रतीक जीवन में तरक्की लाता है और समस्त प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
श्री चिन्ह बनाने का फायदा
श्री का चिन्ह माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसे बनाने से घर परिवार में मां लक्ष्मी का वास रहता है और धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं होती है। लेकिन इस का ख्याल अवश्य रखें कि घर के मंदिर में श्री का प्रतीक सिंदूर या केसर से ही बनाएं। वास्तु के मुताबिक, पूजा स्थल पर श्री का चिह्न होने से देवी लक्ष्मी स्वयं वहां निवास करती हैं.