गणेश चतुर्थी पर पूजा का पूरा फल पाना चाहते हैं? जानें गणपति स्थापना के सही नियम

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By Swati BisenPublished On: August 20, 2025
Ganesh Chaturthi 2025

Ganesh Chaturthi 2025:गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला पर्व है। हर साल भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि को गणपति बप्पा का स्वागत भक्तजन अपने घरों और पंडालों में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह पर्व पूरे 10 दिनों तक चलता है और 6 सितंबर 2025 (अनंत चतुर्दशी) के दिन बप्पा का विसर्जन किया जाएगा।

भक्त मानते हैं कि गणेश जी की पूजा से जीवन में बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन पूजा का पूरा फल तभी मिलता है जब उनकी स्थापना सही नियमों के अनुसार की जाए। आइए जानते हैं, इस बार घर पर गणेश जी को विराजित करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

गणेश प्रतिमा कैसी होनी चाहिए?

  • हमेशा ऐसी प्रतिमा चुनें, जिसमें गणेश जी की सूंड बाईं ओर मुड़ी हो। यह स्वरूप घर की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है और इससे शीघ्र ही शुभ फल मिलता है।
  • दाईं ओर सूंड वाली प्रतिमा को सिद्धिविनायक स्वरूप कहा जाता है, जिसकी पूजा विशेष नियमों और अनुशासन के साथ करनी पड़ती है।
  • कोशिश करें कि प्रतिमा मिट्टी की बनी हुई हो। शास्त्रों में मिट्टी की प्रतिमा को सबसे शुभ बताया गया है, क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल भी होती है।
  • घर में बहुत बड़ी प्रतिमा न रखें। छोटी और आसानी से विसर्जित होने वाली प्रतिमा ही श्रेष्ठ मानी जाती है।

स्थापना से पहले की शुद्धता

गणपति स्थापना से पहले घर और पूजा स्थल की सफाई बहुत जरूरी है। जहां प्रतिमा रखी जाएगी, वहां पहले गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद एक साफ चौकी या पाटे पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रखें कि प्रतिमा को सीधे ज़मीन पर न रखें।

सही दिशा और शुभ मुहूर्त

गणेश जी की प्रतिमा हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करनी चाहिए। यह दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे पवित्र मानी जाती है। इस बार गणेश चतुर्थी की शुरुआत 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 बजे से होगी और तिथि 27 अगस्त 2025 दोपहर 03:44 बजे तक रहेगी। प्रतिमा स्थापना के लिए सबसे शुभ समय 27 अगस्त की सुबह और दोपहर का मुहूर्त है। रात में प्रतिमा स्थापित करना शुभ नहीं माना जाता।

पूजन सामग्री और विशेष महत्व

  • गणेश जी की पूजा में सिंदूर और दूर्वा अर्पित करना बेहद आवश्यक है।
  • मोदक उनका प्रिय भोग है, इसलिए हर दिन बप्पा को मोदक अवश्य अर्पित करें।
  • प्रतिमा स्थापना के बाद अभिषेक करें और “प्राण प्रतिष्ठा मंत्र” का जाप कर प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा करें। यही पूजा को पूर्ण बनाता है।

दस दिनों की पूजा-विधि

बप्पा को घर में विराजित करने के बाद अगले दस दिनों तक सुबह-शाम आरती, मंत्र जाप और भोग लगाना जरूरी है। भक्तजन इस दौरान व्रत रखते हैं। कुछ निर्जला तो कुछ फलाहार। विशेष रूप से महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।