पत्रकार आबिद कामदार, इंदौर। सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के मकसद से भारतीय संसद ने साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया था। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने को लेकर बनाए गए इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है। इसको लेकर लोगों के अंदर काफी जागरूकता भी आई है। इंदौर नगर निगम की अगर हम बात करे तो 2022 में नगर निगम में 2296 आरटीआई दाखिल की गई। जो की पिछले साल के मुकाबले 7 से 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। यह आरटीआई नगर निगम के निर्माण, राजस्व, स्वास्थ्य, ड्रेनेज, उद्यान व अन्य विभागों से सम्बन्धित है।
50 प्रतिशत आरटीआई निर्माण विभाग से सम्बन्धित
वहीं अगर हम विभागों की बात करे तो निगम के निर्माण विभाग में सबसे ज्यादा आरटीआई लगाई जाती है, जो की ऊपर अंकित संख्या का 50 प्रतिशत है। इसमें मुख्य रूप से मकान, भूमि सम्बन्धित नक्शा, दाखला क्रमांक और अन्य दतावेज संबंधित आवेदन लगाया जाता है।
राजस्व विभाग को लेकर लगाई जाती है 20 प्रतिशत आरटीआई
इसी के साथ दूसरे नंबर पर सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रयोग राजस्व विभाग संबंधित दस्तावेज के लिए किया जाता है, जिसमे मुख्य रूप से नामांतरण, संपत्ति, जलकर और अन्य दस्तावेज के लिए किया जाता है, जो की उल्लेखित आंकड़े का 20 प्रतिशत है।
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स्वास्थ्य, जलप्रदाय व अन्य विभागों में दाखिल की जाती आरटीआई
वहीं अन्य आरटीआई स्वास्थ्य, स्थापना, जनकार्य, शिक्षा,जलप्रदाय, प्रशासनिक योजनाएं, पेंशन, उद्यान, जल विभाग, ड्रेनेज और अन्य विभाग सम्बन्धित जानकारी मांगी जाती है। आरटीआई लगाने के लिए आवेदन का शुल्क मात्र 10 रुपए होता है, वहीं बीपीएल कार्ड धारकों के लिए यह पूरी तरह मुफ्त होता है। हमारे पास हर विभाग से संबंधित जानकारी के लिए आवेदन आते है, जिसे हम संबधित विभाग को भेज देते है।