मकर सक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। मकर सक्रांति यानी सूर्य पिता का पुत्र की राशी में प्रवेश सूर्य का गुड और शनिदेव के तिल को मिला कर तिल गुड के लड्डू और गजक बना कर मीठा मीठा बोलने का आवाहन किया जाता है।
लेकिन कुछ वर्षो से इंदौर के कृष्णा गुरुजी ने इसको पिता पुत्र के रिश्तों से जोड़ रिश्तों में भी मधुरता हो इसके लिए वो अंतरराष्ट्रीय जगत को यह संदेश देते आए रहे है कि उस दिन पिता पुत्र के कमरे में कुछ समय साथ बिताये और साथ में चाय काफी पी कर पिता पुत्र के रिश्तों में मधुरता का संदेश दे। बता दे, इसी क्रम में तीसरे वर्ष शनि नव ग्रह मंदिर त्रिवेणी उज्जैन जहां हर ग्रह का अपना भूगर्भ है।
सूर्य देव के गर्भ से सवारी निकाल शनि के पास विराजित करेंगे। सांकेतिक कृष्णागुरूजी सूर्य देव की सवारी निकाल कर पिता पुत्र संबंधी रिश्तों का आवाहन करते है। इस वर्ष 2021 में 21 पिता पुत्र के जोड़े आमंत्रित होंगे। जिसमें विधि विधान के साथ पुत्र द्वारा पिता के चरण पूजन कराया जाएगा। इस बार उज्जैन के 105 वर्षीय राम बा भी सम्मलित होंगे।
जिनका पाद पूजन कृष्णगुरूजी स्वयं करेंगे। हर ग्रह किसी रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है सूर्य पिता का चंद्र मां का मंगल भाई बहनों का। बुध बुद्धि मामा का।गुरु पति।शुक्र पत्नी। शनि देव वृद्ध को। कृष्णा गुरुजी का कहना है कि अगर कोई इंसान अपने रिश्तों को मजबूत करता है तो ग्रह भी मजबूत होते है।