30 दिसम्बर 1943 नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया

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रमेश शर्मा : भारत को अंग्रेजों से मुक्ति 15 अगस्त 1947 को मिली । लेकिन इससे चार वर्ष पहले ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने स्वतंत्र भारत की घोषणा कर दी थी और अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में स्वतंत्र भारत का ध्वज फहरा दिया था । वह ध्वज आजाद हिन्द फौज का था ।

इस तिथि के 75 वर्ष बाद 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसी स्थान पर जाकर तिरंगा फहराया। आजाद हिन्द फौज की स्थापना सुप्रसिद्ध क्रान्ति कारी रास बिहारी बोस ने जापान में की थी । वह 1942 का वर्ष था । उनका मानना था कि अंग्रेजों का मुकाबला उनकी शैली में ही किया जाना चाहिए । अंग्रेजों के पास फौज है तो फौज का मुकाबला फौज से ही होना चाहिए ।

इसीलिए क्राँतिकारी नौजवानों की यह फौज तैयार हुई । अक्टूबर 1943 में आजाद हिन्द फौज की कमान नेताजी सुभाषचंद्र बोस को मिली । उन्होंने वर्मा मलाया आदि स्थानों में स्वयं सेवकों की भर्ती की । और जापान में ट्रेनिंग के साथ फौज का विधिवत स्वरूप मिला । वह द्वितीय विश्व युद्ध का दौर था । आजाद हिन्द फौज अंग्रेजों के खिलाफ थी, अंग्रेजों को भारत से बाहर करना चाहती थी ।

नेताजी का मानना था कि द्वितीय विश्व युद्ध से भारत दूर रहे । उनका मानना था कि इस युद्ध में भारत के हिस्सा लेने का अर्थ भारतीय सैनिकों की निरर्थक मौत । नेताजी कहते थे कि अपने देश की रक्षा के लिये प्राण देना गौरव की बात है लेकिन अंग्रेजों की हिफाजत या हित के लिये प्राण देना निरर्थक है । उन्होंने अपनी बात अंग्रेजों को भी समझाई और उस समय के भारतीय नेताओं को भी । इससे अंग्रेज नाराज हो गये और उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया ।

पहले जेल में डाला गया । नेताजी ने जेल में भूख हड़ताल शुरू दी । इसके बाद वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकल गये । वे जापान गये । और बाकायदा सैन्य अभियान के साथ भारत लौटै । इस सेना ने समुद्री सीमा से लगे भारत के कयी हिस्से अंग्रेजों से छीन लिये और अपना ध्वज फहराया दिया।

इसी अभियान के अंतर्गत 30 दिसंबर 1943 को आजाद हिन्द फौज ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह से अंग्रेजी सत्ता उखाड़ फेकी अंर स्वतंत्र भारत का ध्वज फहरा दिया ।दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के पश्चात कांग्रेस सरकार ने नेताजी के बलिदान को चरखे से स्वतंत्रता मिली बताया चूंकि वे नेहरू गांधी की माला जप जप कर सत्ता सुख भोगने का उद्देश्य था नही तो गाँधीजी की उस सलाह पर क्यों अमल नही किया कि कांग्रेस का उद्देश्य पूरा हो गया है इसे समाप्त कर देना चाहिए।