राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वारा प्रतिवर्ष दशहरे के अवसर पर नागपुर सहित देश के विभिन्न इलाकों में शस्त्रपूजन कार्यक्रम किया जाता है। इस वर्ष भी नागपुर के रेशमीबाग में आयोजित शस्त्रपूजन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुप्रीमो मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने देश के सभी नागरिकों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने शक्ति को जीवन के विभिन्न पहलुओं का आधार बताया, जिससे शांति और सुरक्षा सम्भव है, इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी बात की। साथ ही मोहन भागवत ने देश के सभी वर्गों में सामाजिक समानता की भी वकालत की।
जनसंख्या संतुलन पर दिया जोर
दशहरे के अवसर पर आयोजित शस्त्रपूजन के अवसर पर मोहन भागवत ने देश में बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने पर जोर देते हुए जनसंख्या के विस्फोट से होने वाले दुष्प्रभावों की भी चर्चा की। इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा आदि देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि जनसंख्या के असंतुलन से इन देशों का विघटन अस्तित्व में आया है, हमें इससे शिक्षा लेने की आवश्यकता है।
हमारा किसी से विरोध नहीं है
इस अवसर भागवत ने कहा कि हिंदुस्तान निःसंदेह ही एक हिन्दू राष्ट्र है, परन्तु हमारा किसी से विरोध या विद्वेष नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा उदेश्य जोड़ना है ना की तोडना। इसके साथ ही देश में फैली जातिगत, वर्गगत असमानता को दूर करने की राष्ट्र के नागरिकों से अपील की।