भाषा लोगों को जोड़ती हैं। सड़कें गांव, शहरों और महानगरों को जोड़ती हुई विकास की तरफ ले जाती हैं। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाते हुए समृद्ध लाती है। भारतीय जनता पार्टी के शिखर पुरुष, मां भारती के सच्चे सपूत, भारत रत्न, ओजस्वी वक्ता और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी शिक्षा और भाषा को सामाजिक सुधार के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानते थे तो सड़कों को आर्थिक समृद्धि लाने का सबसे बड़ा माध्यम। अटल सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुए तो पहली बार उनके नेतृत्व में देश में राष्ट्रीय राजमार्गों को चमचमाता, तेज रफ्तार और सुरक्षित बनाया गया। शेरशाह सूरी के बाद भारत में सड़कों पर पहली बार अटल सरकार के दौरान उल्लेखनीय कार्य हुए। सड़कों का जाल बिछाने के साथ ही संचार क्षेत्र में अटल सरकार में बहुत कार्य हुए। भारत के गरीबों के हाथों में मोबाइल फोन का सपना भी अटल बिहारी बाजपेयी के कारण पूरा हुआ। चतुर्भुज स्वर्णिम योजना वाजपेयीजी की देन है। कांग्रेस की अगुवाईवाली यूपीए सरकार के दौरान सड़कों का बुरा हाल तो लोगों ने देखा ही था।
अटलजी के बहुत प्रिय रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, संचार क्षेत्र के साथ गरीब और किसानों की आर्थिक प्रगति है। अटल सरकार के शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार और सड़कें बनाने के काम को मोदी सरकार ने साकार रूप दिया है। अटलजी को हम केवल जयंती और पुण्यतिथि पर ही याद नहीं करते हैं। मोदी सरकार की योजनाओँ, संकल्पों और वायदों को पूरा करने में अटलजी की ही प्रेरणा हैं। अटलजी के जन्मदिवस को मोदी सरकार ने सुशासन दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की। देश के लोगों के लिए अटल पेंशन योजना की शुरु की। आज देश में सबसे ज्यादा योजनाएं अटलजी को समर्पित हैं। कोरोना संकट के बीच भारतमाला परियोजना के तहत करीब 3,000 किमी सड़क का निर्माण किया गया। सड़कों के जाल के साथ ही देश के सीमावर्ती इलाकों में सड़कों को मजबूत बनाया गया है। पिछले छह वर्षों में लद्दाख के गलवान घाटी से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक चार लेन वाला 4700 किलोमीटर लंबा सदाबहार मार्ग बनाया है। सीमा पर 14.7 किलोमीटर लंबा दो लेन वाला पुल भी बनाया गया है। इससे बड़े टैंक गुजर सकते हैं। जिस तरह अटलजी ने परमाणु परीक्षण करके दुनिया को भारत की शक्ति का अहसास कराया था, उसी तरह मोदीजी ने सीमावर्ती इलाकों में सड़कें, सुरंग और पुल बनाकर सशक्त भारत की तस्वीर प्रस्तुत की है। देश की सुरक्षा के लिए अटल सुरंग बहुत महत्वपूर्ण हैं। सशक्त भारत के कारण चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों में दहशत फैली हुई है। प्रधानमंत्री मोदी मानते हैं कि अच्छी सड़कों के जाल से देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी।
अटलजी पहले ऐसे गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने पांच साल सरकार चलाई। मोदीजी पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिनके नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार लोकसभा में पूर्ण बहुमत पाया और दूसरी बार 300 से ज्यादा सीटें जीती। अटलजी की तरह मोदीजी भी बयान देने या भाषण देने से पहले पूरी तैयारी करते हैं। इस अवसर पर यह जिक्र करना जरूरी है कि गुजरात के दंगों को लेकर अटलजी की मोदीजी से नाराजगी का मीडिया में बार-बार उल्लेख किया जाता है। विरोधी दल भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। वाजपेयीजी कहते थे कि एक झूठ को सौ बार बोला जाए तो उसे सच मान लिया जाता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने गुजरात में दंगों के दौरान पूरा राजधर्म निभाया। 2002 के गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राज्य का दौरा कर रहे थे। एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया कि क्या आप मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई संदेश लेकर आए हैं। वाजपेयी ने अपनी चिरपरिचित शैली में उत्तर दिया था कि मुख्यमंत्री के लिए मेरा सिर्फ एक संदेश है कि वह राजधर्म का पालन करे। राजा के लिए, शासक के लिए प्रजा-प्रजा में भेद नहीं हो सकता। न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर,न संप्रदाय के आधार पर। बगल में बैठे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बीच में ही कहा था कि हम भी वही कर रहे हैं साहेब। इसके बाद वाजपेयी जी ने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि नरेंद्र भाई यही कर रहे हैं। कई अवसरों पर अटलजी नरेंद्र भाई को जोरशोर से गले लगाते रहे। इस बात का ज्यादा प्रचार नहीं किया। मीडिया के एक वर्ग और विरोधी राजनीतिक दलों ने लंबे समय तक झूठ को कई बार दोहराया। आखिर में साजिश का पर्दाफाश भी हुआ। मोदीजी के लिए अटलजी पितातुल्य थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि अटलजी मां भारती के सच्चे सपूत थे, उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है। उनका निधन संपूर्ण राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। मेरे लिए तो अटल जी का जाना पिता तुल्य संरक्षक का साया सिर से उठने जैसा है। अटलजी मोदीजी के लिए हमेशा प्रेरणा के स्त्रोत रहे। मोदी सरकार ने उनके कई संकल्पों का पूरा किया है। डा.श्यामप्रसाद मुखर्जी के बलिदान के बाद अटलजी जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के लिए अभियान चलाते रहे। उनके संकल्प को मोदी सरकार ने पूर्ण कर दिखाया। राजनीति के अजातशत्रु अटलजी को जयंती पर कोटिशः नमन।