कृषि स्नातक चाहें तो देश में ओरगेनिक फार्मिंग की हरित क्रांति आ सकती है- अजीत केलकर

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By Akanksha JainPublished On: December 22, 2020

इंदौर: मध्य प्रदेश के कृषि स्नातकों की संस्था एग्री अंकुरण वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक नवलखा इंदौर में कोविड-19 गाइड लाइंस का पालन करते हुए संपन्न हुई।
मीटिंग में इंटरनेशनल जैविक कृषि वैज्ञानिक अजीत केलकर ने कहा की कृषि स्नातकों पर पुरे देश का पेट भरने का दारोमदार है। उन्हें पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए टिकाऊ खेती तथा जैविक खेती दोनों के सिद्धांतो का पालन करते हुए किसानो को मार्गदर्शित करना है। हरित क्रांति के 70 साल बाद देश को एक और नई हरित क्रांति की आवश्यकता है, जो की जैविक खेती के क्षेत्र में होगी। देश में पेस्टिसाइड के अत्यधिक उपयोग से किसानो एवं मानव में केंसर, हार्ट अटेक समेत कई असाध्य बीमारियों ने पैर पसार लिए है। इन विपरीत परिस्थितियों में अब कृषि स्नातक आगे आये एवं देश, धरती एवं पर्यावरण को बचावे.
उन्होंने आगे कहा की 21 वी शताब्दी में कृषि के सामने ढ़ेरों चुनोतिया आ रही है जैसे मौसम परिवर्तन, मिट्टी की ख़राब सेहत, क्रोपिंग पैटर्न का बदलना, जी.एम.ओ. फसलो की वजह से प्रकृति को हुआ नुक्सान तथा अत्यधिक कीटनाशकों के उपयोग से किसानो की सेहत को हुआ नुकसान शामिल है। केलकर ने उपरोक्त समस्याओं का समाधान भी बताते हुए कहा कि आर्गेनिक फर्टिलाइजर एवं देशी डी. ए. पी. के माध्यम से हम रिस्क कम कर सकते है।
एग्रीकल्चर बेंकिंग एक्सपर्ट विजय पाटीदार ने कहा की किसान को कर्जे से निकालना बड़ी चुनोती है। भारतीय किसान के बारे में कहा जाता है की वो कर्ज में जन्म लेता है, कर्ज में पलता है एवं कर्ज चुकाए बगैर ही मर जाता है।
किसान आन्दोलनकारी रणजीत जाट ने कहा की किसानों की समस्या पर किसी का भी ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को कृषि स्नातकों को शासन के समक्ष उठाना चाहिए।


कृषि स्नातक चाहें तो देश में ओरगेनिक फार्मिंग की हरित क्रांति आ सकती है- अजीत केलकर
एम. जी. सी. आई कोचिंग के संचालक मुकेश जाट सर ने कहा कि कृषि शिक्षा के निजीकरण कि वजह से कृषि शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। यदि यह स्तर इसी तरह गिरता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब छात्र कृषि विषय लेने में संकोच करेंगे।
पेस्टीसाइड निर्माता भगवान सिंह राजपूत ने कहा कि अब किसानों को टिकाऊ कृषि के माध्यम से कम लागत में खेती करना चाहिए।
कृषि शिक्षक अरविंद शर्मा ने कहा कि अंकुरण संस्था के संगठन को पूरे प्रदेश स्तर पर नेटवर्किंग के माध्यम से फैलाने कि आवश्यकता है। इसके लिए हमें जल्द से जल्द शुरुआत करना होगी।
इस अवसर पर सोशल वर्कर नीरज राठौर ने कहा कि आर्गेनिक प्रमाणीकरण एवं इंटरनेशनल बिजनेस मे एंट्री करके कृषि स्नातक किसानों के उत्पादों कि इंटरनेशनल मार्केटिंग कर सकते है। अंकुरण के माध्यम से ऐसा प्लेटफॉर्म बन सकता है।
एग्रीकल्चर बैंकिंग एक्सपर्ट मनोज शर्मा ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नही मिल पाना हमारे सिस्टम की सबसे बड़ी नाकामी है।
विष्णु गोठी जो कि बीज़ प्रमाणीकरण विशेषज्ञ है ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम सभी कृषि स्नातक किसानों एवं कृषि के विकास के लिए नई एवं ठोस योजना लेकर आए। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक एरिया चयनित करके उस एरिया को अंकुरण द्वारा गोद ले लिया जाएगा एवं कार्य की शुरुआत की जावेगी।
अंत में अंकुरण के को आर्डिनेटर राधे जाट ने कहा कि हमारे संगठन का उद्देश्य कृषि स्नातकों एवं किसानों का कल्याण है। इसके लिए हम प्लांनिंग बनाकर जल्द से जल्द कार्य शुरू कर रहे है। किसानों को शासन की योजना का लाभ मिले एवं किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो, यही संगठन का उद्देश्य है।