किसान आंदोलन: एक और बुजुर्ग ने दी जान, पिया जहर, सुसाइड नोट में लिखी वजह

Akanksha
Published on:

सोनीपत। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान अभी भी डटे हुए हैं। जिसके चलते सोनीपत में कुंडली बार्डर पर उस समय हड़कंप मच गया जब एक बुजुर्ग किसान ने जहर खा लिया। दरअसल, सोमवार को पंजाब के तरनतारन के रहने वाले 65 साल के किसान निरंजन सिंह पुत्र किशन सिंह ने धरनास्थल पर ही जहर खा लिया। जिसके बाद उन्हें सोनीपत के सामान्य अस्पताल लाया गया, जहां से उन्हें रोहतक पीजीआई रेफर किया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। बुजुर्ग ने जहर खाने से पहले एक सुसाइट नोट भी लिखा।

उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा कि, “शर्म आती है इस वतन को वतन कहते हुए, घर बैठे टीवी पर जब पिछले तीन चार माह से देख रहे थे। अपने बहन, भाई, बूढ़े और बच्चों को ठंड में एवं गाड़ियों की पटरी और सड़कों पर बिना छत अंधेरी धुंध रात को बैठे देखते हैं तो दिल में एक सवाल उठता है कि हम भी इस देश के वासी है जिनसे गुलाम से भी ज्यादा बुरा व्यवहार कर रही है सरकार। आज जब आकर आंखों से देखा तो बर्दाश्त नहीं हुआ। हमारे नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी ने भी जुल्म के विरोध में आवाज उठाई थी और अपनी कुर्बानी दे दी थी। मैं भी यह दुख ना देखते हुए अपने प्राणों की कुर्बानी दे रहा हूं, जिससे गूंगी बोली सरकार के कानों तक आवाज़ पहुंच सके।”

याद हो कि, बुधवार को ही कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर कुंडली बॉर्डर स्थित धरनास्थल पर नानकसर सिंगरा गुरुद्वारा के बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। बता दे कि, उनके पास से भी सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि, किसानों का दर्द देखा नहीं जा रहा। किसान ठंड में अपनी मांगों को लेकर सड़क पर परेशान हो रहे हैं जिसके चलते वह रोष स्वरूप आत्महत्या कर रहे हैं। इसके बाद से किसानों में रोष और बढ़ गया है। इस तरह की घटनाओं से उनके इरादे और मजबूत हो रहे हैं लेकिन सरकार अभी भी कानूनों में केवल संशोधन की बात कह रही है।