नई दिल्ली : पंजाब और हरियाणा के किसानों का केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन 21 दिनों से जारी है. सिंघु बॉर्डर पर किसान सरकार के ख़िलाफ़ लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. बुधवार शाम को एक किसान ने कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ अपनी जान दे दी. किसान आंदोलन में शामिल संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली. जिसमे उनकी मौत हो गई. मरने से पहले संत बाबा राम सिंह ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है.
सुसाइड नोट में संत बाबा राम सिंह ने लिखा है कि, ‘मुझसे किसानों का दर्द देखा नहीं जाता, किसान सड़क पर बैठा है बॉर्डर पर बैठा है. मुझसे यह दुख देखा नही जा रहा है.’ उन्होंने पंजाबी भाषा में सुसाइड नोट छोड़ा है. इसमें आगे लिखा है कि, किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ नहीं किया. कइयों ने सम्मान वापस किए. यह जुल्म के खिलाफ आवाज है. वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह.
किसान आंदोलन में अब तक करीब दर्जनभर प्रदर्शनकारियों की जान जा चुकी है. हाल ही की बात की जाए तो सोमवार को दो, मंगलवार को एक किसान की जान जा चुकी है. जबकि अब बुधवार शाम को संत बाबा राम सिंह ने आत्महत्या कर ली. बता दें कि बाबा राम सिंह किसान और हरियाणा एसजीपीसी के नेता थे.
21 दिन से जारी किसान आंदोलन…
बता दें कि 26 नवंबर से शुरू हुआ पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन आज अपने 21वें दिन में प्रवेश कर चुका है. किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद भी अब तक किसानों की समस्याओं का हल नहीं निकल सका है. किसान साफ कह चुके हैं कि केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेने ही होंगे. जबकि सरकार ने भी कहा है कि किसी भी हाल में कृषि कानून रद्द नहीं होंगे. ये किसानों के हित में हैं. यह मामला आज सुप्रीम कोर्ट के हाथों में चला गया. तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार सहित पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस देते हुए कल तक जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले को लेकर एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा.