गौरतलब है की द्वारका-शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) कल 11 सितंबर की रात्रि को इस लौकिक संसार को छोड़ कर परलोक की यात्रा पर निकल गए। जानकारी के अनुसार शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन ह्रदय आधात की वजह से हुआ था। उल्लेखनीय है कि उनकी आयु 99 वर्ष की थी और वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे। उल्लेखनीय है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में 1924 में हुआ था और उनका नाम परिजनों का दिया नाम पोथीराम उपाध्याय (Pothiram Upadhyay) था।
आज शाम 5 बजे दी जाएगी भू-समाधि
संत समाज से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज शाम पांच बजे दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को नरसिंहपुर के गोटेगांव में ज्योतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में ‘भू समाधि’ दी जाएगी। इसकी प्रक्रिया दोपहर 3 से 4 बजे के बीच शुरू की जाएगी जोकि लगभग पांच बजे के आसपास सम्पन्न होगी। इस पूरी प्रक्रिया में 2 घंटों का समय लगने की जानकारी संत समाज ने मीडिया को दी है।
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किसे दी जाती है भू समाधि सनातन धर्म में
हमारे सत्य सनातन धर्म में मूलतः अंतिम संस्कार अग्निदाह के माध्यम से होता है, परन्तु सनातन धर्म के साधु और संतों के विभिन्न सम्प्रदायों में अंतिम संस्कार की अलग-अलग पद्धति प्रचिलित हैं। जिनमें गिरि, पूरी और सरस्वती विभाग के साधु-संतों को मरणोपरांत भू समाधि देने की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के सम्प्रदाय में भी भू समाधि देने की प्राचीन परम्परा है, उसका निर्वहन करते हुआ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को आज 5 बजे भू समाधि दी जा रही है।
यहां दी जाएगी भू समाधि
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को नरसिंहपुर के गोटेगांव में ज्योतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में ‘भू समाधि’ दी जाएगी। जिसकी प्रक्रिया दोपहर 3 से 4 बजे के बीच प्रारम्भ हो कर लगभग दो घंटे चलेगी।