Indore : हार्ट के Calcified ब्लॉकेज में काम देंगी ये नई तकनीकें, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अलकेश जैन ने दी जानकारी

Author Picture
By Suruchi ChircteyPublished On: August 31, 2022

इंदौर(Indore) : हार्ट की कोरोनरी आर्टरी में calcified प्लाक के कारण ब्लॉकेज की समस्या सबसे आम हृदय रोगों में से एक है। हर साल 10 से 25 प्रतिशत मरीजों की इस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है। कॉलेस्ट्रॉल, फैट या मृत कोशिकाओं से बने प्लाक के इलाज में अब तक बायपास सर्जरी से ही इलाज संभव था लेकिन अब नई तकनीकों की मदद से इंटरवेंशन के जरिए भी इनकी आसानी से एंजियोप्लास्टी की जा सकती है। सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अलकेश जैन ने इन नई तकनीकों के बारे में जानकारी दी।

यदि इस बीमारी के इलाज को नजरअंदाज किया जाता है तो नसों में रक्त प्रवाह पूरी तरह से ब्लॉक हो सकता है जिससे हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। ब्लॉकेज कम होने पर दवाओं और लाइफ स्टाइल नियमित करने से ठीक किया जा सकता है। लेकिन ब्लॉकेज ज्यादा होने से मरीज को एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि एंजियोप्लास्टी से बिना चीरा लगाए ब्लॉकेज को ठीक किया जा सकता है लेकिन कैल्शियम वाले कठोर ब्लॉकेज में इंटरवेंशन से प्रोसीजर संभव नहीं था या परिणाम अच्छे नहीं मिलते थे। अब नई तकनीकों से इसका इलाज भी काफी आसान हो गया है।

आईवस: इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड 

एंडोस्कोपी की तरह इस तकनीक में मरीज की आर्टरी में एक तार डाला जाता है जिस पर कैमरा लगा होता है। यह ब्लॉकेज को स्पष्ट देखने में मददगार है। इस तकनीक से आर्टरी के सिकुड़न, ब्लॉकेज की लंबाई और कठोरता व आर्टरी में जमे कैल्शियम का भी पता लगा सकता है। इसके अलावा एंजियोप्लास्टी में स्टेंट ठीक से लगा है या नहीं, इसकी जानकारी भी हासिल की जा सकती है।

Read More : Happy Birthday Rajkummar Rao: स्ट्रगल के दिनों में बिस्किट खाकर करते थे गुजारा, बैंक अकाउंट में होते थे इतने रूपए

ओसीटी: ऑप्टिकल कोहैरेंस टोमोग्राफी 

ओसीटी एक ऑप्टिकल इमेजिंग तकनीक है जो आर्टरी के अंदर की संरचना, ब्लॉकेज के प्रकार का पता लगाने के लिए इंफ्रारेड किरणों का इस्तेमाल करती है। इसके साथ ही स्टेंट के इंप्लांट होने के बाद उसके सही तरह से खुलने की रिपोर्ट भी देती है।

इन तकनीकों से आसान हुई एंजियोप्लास्टी 

रोटेब्लेशन एंजियोप्लास्टी 

रोटाब्लेशन में एक विशेष तार का इस्तेमाल किया जाता है जिसके एक सिरे पर डायमंड कोटेड ड्रिल होती है। कैल्शिय ब्लॉकेज होने पर यह उसे ड्रिल करता है और कैल्शियम को बारीक टुकड़ों में तोड़ देता है। इस तकनीक का उपयोग उन केसों में किया जाता है जिसमें प्लाक या कैल्शियम काफी ज्यादा होता है। इस तकनीक से होने वाली एंजियोप्लास्टी के बाद स्टेंट के दोबारा बंद होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है।

Read More : टीवी की संस्कारी बहू Hina Khan ने दिखाए कातिलाना पोज़, तस्वीरें देख फैंस हुए दीवाने

इंट्रावस्कुलर लिथोट्रिप्सी (शॉकवेव थेरेपी)

यह नई तकनीक है जिसमें हार्ट की आर्टरी में जमे कैल्सिफाइड ब्लॉकेज को हटाया जाता है। इस तकनीक की मदद से बिना किसी जटिलता के गंभीर ब्लॉकेज भी ठीक किये जा सकते हैं। यह तकनीक सोनिक प्रेशर वेव बनाती हैं जिससे कैल्शियम बारीक चूर्ण के रूप में टूट कर हट जाता है। कैल्शियम हटाने के बाद स्टेंटिंग कर मरीज की सफल एंजियोप्लास्टी हो जाती है।

पॉलीमर फ्री स्टेंट 

इसके अलावा स्टेंट तकनीक में पॉलीमर फ्री तकनीक भी आ गई है जिसमें नई जनरेशन के स्टेंट पॉलीमर के बजाय प्रोबुकोल से बने होते हैं। ये भी ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट हैं जो इम्प्लांटेशन के 28 दिनों के भीतर 80 प्रतिशत दवा छोड़ते हैं। यह पॉलीमर के रूप में काम करेगा लेकिन इंप्लांट होने के बाद मरीज को किसी तरह की समस्या नहीं होगी। इमेजिंग-गाइडेड एंजियोप्लास्टी जैसे ओसीटी या आइवस में इम्प्लांटेशन के बाद नए मेटल स्टेंट अधिक दिखाई देते हैं और पॉलिमर की तुलना में अधिक फ्लेक्सीबल भी होते हैं। नई जनरेशन के स्टेंट डायबिटिक मरीज, जिन्हें स्टेंट दोबारा बंद होने का काफी खतरा होता है, उनके लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। यह नई जनरेशन के स्टेंट सुरक्षित हैं और एंजियोप्लास्टी के बाद बेहतर परिणाम देते हैं।