भोपाल। शनिवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक हाई लेवल कमिटी में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम-2020 के ड्राफ्ट पर चर्चा की। प्रस्तावित ड्राफ्ट में कहा गया है कि, जो विवाह धर्म परिवर्तन की नियत से किया गया होगा वह शून्य होगा। प्रस्तावित अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने संबंधी प्रयास किए जाने पर प्रभावित व्यक्ति स्वयं, उसके माता-पिता अथवा या संबंधी इसके खिलाफ शिकायत कर सकेंगे। यह अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा। उपपुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकता है और घर्मांतरण नहीं किया गया है यह साबित करने का भार अभियुक्त पर होगा।
प्रस्तावित ड्राफ्ट में कहा गया है कि, किसी भी व्यक्ति द्वारा अधिनियम की धारा 03 का उल्लंघन करने पर 01 वर्ष से 05 साल की सजा और कम से कम 25 हजार रूपए का जुर्माना लगेगा। नाबालिग, महिला और एससी/एसटी केस में 02 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 50 हजार रुपए जुर्माना प्रस्तावित किया गया है। साथ ही अपना धर्म छुपाकर ऐसा प्रयास करने पर 03 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 50 हजार रुपए जुर्माना लगेगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन (02 या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर 05 से 10 साल जेल और कम से कम 01 लाख रूपए के अर्थदण्ड का प्रावधान किया जा रहा है।
वही प्रस्तावित ‘म.प्र. धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम’ की धारा 03 के तहत कोई भी व्यक्ति दूसरे को दिगभ्रमित कर, प्रलोभन, धमकी, बल, दुष्प्रभाव, विवाह के नाम पर या अन्य कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष या उसका धर्म परिवर्तन या इसका प्रयास नहीं कर सकेगा। कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन किए जाने का बढ़ावा या षड्यंत्र नहीं करेगा।
प्रस्तावित अधिनियम के मुताबिक, स्वतंत्र इच्छा से धर्म परिवर्तन की दशा में धर्म परिवर्तन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति और धार्मिक पुजारी या व्यक्ति जो धर्म परिवर्तन आयोजित करने का आशय रखता हो को, उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट को जहाँ धर्म परिवर्तन संपादित किया जाना हो, एक माह पूर्व घोषणा पत्र/सूचना पत्र देना बंधनकारी होगा।