एनसीयूबीसी 2022 का हुआ समापन, वीबी माथुर को सौंपा गया इंदौर का घोषणा पत्र

Shraddha Pancholi
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इंदौर: “द नेचर वालंटियर्स” व “वर्ल्ड रिसर्च आर्गेनाईजेशन” द्वारा पहले “राष्ट्रीय शहरी जैव विविधता संरक्षण सम्मेलन” के आयोजन में देश के नामी शहर नियोजक तथा जैव विविधता विशेषज्ञ शामिल हुए और शहरों की जैव विविधता को बचाने के उपायों पर चर्चा की। इस सम्मेलन में मध्य प्रदेश सरकार, स्मार्ट सिटी इंदौर, मध्य प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड, पर्यावरण योजना और समन्वय संगठन, भोपाल राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया, शहरी मामलों के राष्ट्रीय संस्थान, एचसीएल हरित, आईसीएलईआई स्थानीय सरकार स्थिरता दक्षिण एशिया, इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स, स्कूल प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, यूएनईपी, इकोसोल एनविरो, जैविक सेतु, सीएमएस वातावरण, अर्बन अपडेट और वेटलैंड अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण एशिया जैसी संस्थाओं ने भागीदारी की थी l

कॉन्फ्रेंस के समन्वयक रवि गुप्ता ने बताया कि सम्मेलन के पहले दिन पांच सत्रों में भिन्न भिन्न विषयों पर अनुभवी और विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। वही आज सम्मेलन के दूसरे दिन ‘इंदौर डेक्लरेशन’ – जैव विविधता पर इंदौर घोषणा-पत्र जारी किया गया जो केशर पर्वत, महू पर सुबह 11 से 5 बजे तक संपन्न हुआ। साथ ही समापन दिवस पर केशर पर्वत पर टीएनवी द्वारा राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ वीबी माथुर को इंदौर घोषणा पत्र सौंपा गया l यह घोषणा राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, चेन्नई के तकनीकी सहयोग से द नेचर वालंटियर्स और वर्ल्ड रिसर्चर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित 5-6 अगस्त, 2022 को इंदौर में आयोजित शहरी जैव विविधता संरक्षण पर पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का परिणाम है।

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सम्मेलन के दुसरे दिन इंदौर घोषणा पत्र में जिन बातों पर विशेष जोर दिया गया इसमें जैव विविधता के लिए व्यापक वैश्विक 2050 विजन की प्रासंगिकता को याद करते हुए: “प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना”, और यह मानते हुए कि सामाजिक आर्थिक और पारिस्थितिक आयामों में इसकी पूर्ण और सच्ची उपलब्धि महत्वपूर्ण है l और साथ ही यह स्वीकार करते हुए कि पिछले दशक में सरकार, अकादमिक, नागरिक समाज और समाज के सभी वर्गों द्वारा काफी और ठोस प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन गहराई से चिंतित हैं कि इस तरह की प्रगति आइची जैव विविधता लक्ष्यों, सीबीडी और एनबीएसएपी और एसबीएसएपी को प्राप्त करने के लिए अपर्याप्त है l

साथ ही यह स्वीकार करते हुए कि स्थानीय लोग और समुदाय पारंपरिक ज्ञान, नवाचारों और सामाजिक धार्मिक प्रथाओं के माध्यम से शहरी जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग में योगदान करते हैं, और उनके नेतृत्व के माध्यम से जैव विविधता के साथ जुड़ते हैं।

इसलिए, इस बात पर जोर देते हुए कि सरकार के सभी स्तरों पर नीतिगत सामंजस्य के माध्यम से तेजी से शहरी जैव विविधता के नुकसान की प्रक्रिया को रोकने और प्रकृति और लोगों के लिए भविष्य के मार्ग को आकार देने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और शहर के स्तर पर तालमेल की प्राप्ति के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

Background Note

भारत सरकार ने जैव विविधता अधिनियम २००२ में बनाया था। उसके पश्चात केन्द्र ने राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (चेन्नई) का गठन किया और साथ में हर राज्य ने अपने-अपने बोर्ड्स का गठन किया, जैव विविधता को लेकर कई सारे नियम भी बनाए गए इसके बावजूद शहरी जैव विविधता संरक्षण के प्रयास बेहद कम ही रहे हैं। यही कारण है कि शहरों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे जैव विविधता तेजी से समाप्ति की ओर बढ़ रही हैं । शहरों में खुली भूमि, औषधियों के पौधे, हरियाली, झाड़ी-झुर्मुट, वृक्ष, बड़े-छोटे तालाब, बड़े बग़ीचे व नदियाँ विलुप्त होते जा रहे हैं। विभिन्न पक्षी, तितलियाँ, छोटेकीटक, मधुमक्खियां, केंचुए, मेंढक आदि गंभीर संकट में हैं। इन्हें बचाना ज़रूरी है। पारस्थितिकी तंत्र का संतुलन (Ecological Balance) बिगड़ रहा है और इसे संभालना मानव के खुद के अस्तित्व के लिए भी जरूरी है।

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