शहरों की जैव विविधता पर रखे गए राष्ट्रीय सम्मेलन में पहुंचे देश के नामी विशेषज्ञ, रिस्टोरेशन कांसेप्ट पर की चर्चा

Shraddha Pancholi
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इंदौर: “द नेचर वालंटियर्स” व “वर्ल्ड रिसर्च आर्गेनाईजेशन” द्वारा पहले “राष्ट्रीय शहरी जैव विविधता संरक्षण सम्मेलन” के आयोजन में देश के नामी शहर नियोजक तथा जैव विविधता विशेषज्ञ शामिल हुए और शहरों की जैव विविधता को बचाने के उपायों पर चर्चा की। कॉन्फ्रेंस के समन्वयक रवि गुप्ता ने बताया कि सम्मलेन के पहले दिन पांच सत्रों में भिन्न भिन्न विषयों पर अनुभवी और विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।

उदघाटन समारोह में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, चेन्नई के अध्यक्ष डॉक्टर विनोद माथुर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण/ शहरी जैव विविधता की जिम्मेदारी समाज के, शासन के, विभिन्न विभागों की है। शहरी जैव विविधता की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए डॉ माथुर ने बताया कि बढ़ते तापमान का सीधा संबंध लगातार कम होती शहरों की हरियाली और जल के स्त्रोतों से है. शहरी जैव विविधता का एक बड़ा कारण लैंड यूज़ के आसान परिवर्तन भी है. ऐसे में शहरों में जैव विविधता संरक्षण का महत्व और बढ़ जाता है। यह सारा विचार विकास, संरक्षण और विनाश के बारे में है. समाज के, शासन के कर्ता धर्ताओं को इमानदारी से अपनी जरूरतों को सूक्ष्म रूप से आकलन करके जरूरत के अलावा जमीनों को जंगल में या जल स्त्रोत के रूप में परिवर्तित करने की तरफ ध्यान देना होगा।

हम शहरों में जो भी निर्माण करते है, उसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव जैव विविधता पर पड़ता ही है। अब जरूरत आ गई है कि हम सभी रिस्टोरेशन के कांसेप्ट पर काम करें. इस दीर्घकालीन के लिए पिछले करीब दो वर्षों से स्थानीय स्तर पर रजिस्टर बनाना शुरू हुआ है जिसके अनुसार अलग – अलग मौसमों में पाए जाने वाले स्थानीय पादपों, पशु – पक्षियों की सूची बनाई जानी चाहिए, ताकि इनके संरक्षण का प्रयास किये जा सकें।

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सम्मेलन में मध्यप्रदेश शासन के प्रमुख सचिव – पर्यावरण अनिरुद्ध मुखर्जी ने कहा कि इंदौर के सिरपुर तालाब को जो रामसर साईट का दर्जा मिलना बड़ी उपलब्धि है जिसे बनाए रखना इससे भी बड़ी जिम्मेदारी है। स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली के डायरेक्टर श्री पी एस एन राव ने बताया कि इस पृथ्वी पर जीवन की संभावना ही एक दूसरे पर निर्भरता से है। शहरों को फैलते रहने देने के लिए सभी को जागरुक होना चाहिए, नए सिरे से जल स्त्रोतों, शहरी जंगलों के पुनर्जीवन को योजनाबद्ध तरीके से प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

पच्चीस से अधिक विषय विशेषज्ञों को करीब दो सौ से अधिक प्रतिभागियों ने सुना जिनमें वन विभाग, शहरी नियोजन व पर्यावरण पढ़ने वाले विद्यार्थी भी इसमें शामिल हुए। 06 अगस्त 2022 को सम्मेलन के दूसरे दिन ‘इंदौर डेक्लरेशन’ – जैव विविधता पर इंदौर घोषणा-पत्र जारी किया जाएगा जो केशर पर्वत, महू पर सुबह 11 से 5 बजे तक संपन्न होगा।

Background Note

भारत सरकार ने जैव विविधता अधिनियम २००२ में बनाया था। उसके पश्चात केन्द्र ने राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (चेन्नई) का गठन किया और साथ में हर राज्य ने अपने-अपने बोर्ड्स का गठन किया, जैव विविधता को लेकर कई सारे नियम भी बनाए गए इसके बावजूद शहरी जैव विविधता संरक्षण के प्रयास बेहद कम ही रहे हैं। यही कारण है कि शहरों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे जैव विविधता तेजी से समाप्ति की ओर बढ़ रही हैं । शहरों में खुली भूमि, औषधियों के पौधे, हरियाली, झाड़ी-झुर्मुट, वृक्ष, बड़े-छोटे तालाब, बड़े बग़ीचे व नदियाँ विलुप्त होते जा रहे हैं। विभिन्न पक्षी, तितलियाँ, छोटेकीटक, मधुमक्खियां, केंचुए, मेंढक आदि गंभीर संकट में हैं। इन्हें बचाना ज़रूरी है। पारस्थितिकी तंत्र का संतुलन (Ecological Balance) बिगड़ रहा है और इसे संभालना मानव के खुद के अस्तित्व के लिए भी जरूरी है।

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