महाराष्ट्र के मुंबई में साल 2008 में हुए 26/11 आतंकी हमले को लेकर पूर्व भारतीय राजनयिक शरत सभरवाल ने बड़ा खुलासा किया है। लेकिन सबूतों से हमेशा यहीं पाया गया है की इस हमले में पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका रहीं है। उनको पाकिस्तानी सेना ने बताया था की लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, शरत सभरवाल ने अपनी नई बुक “इंडियाज पाकिस्तान कॉनड्रम” में लिखा है कि, साल 2010 में इस्लामाबाद में भारत के तत्कालीन राजदूत शरत सभरवाल ने दिल्ली की ओर से जुटाए गए सबूतों के बारे में बताया। ये सबूत उन्होंने एक पाकिस्तानी सेना से बात करते हुए उन्हें लिखा, उन्होंने कार्रवाई को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।
इस हमले में पाकिस्तान की सेना और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका को लेकर भारत ने पाकिस्तान को काफी सबूत दिए थे लेकिन पाकिस्तान इन्हें मानने से इनकार करता रहा। शरत सभरवाल ने अपनी बुक लिखा कि, उन्होंने अगस्त 2010 में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ वार्ताकार के साथ मीटिंग की थी। इस दौरान पाकिस्तानी आर्मी के इस अधिकार ने उनसे कहा कि, मुंबई में हुए आतंकी हमले में सेना और आईएसआई का कोई हाथ नहीं है।
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‘पाकिस्तानी सेना ने जांच में मदद की थी जिसके कारण मुंबई हमले के दोषियों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन अगर भारत बातचीत शुरू करने से पहले हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद कर रहा था, तो ऐसा नहीं होगा क्योंकि हमले में उसके शामिल होने का कोई सबूत नहीं है।
गौरतलब है कि, पाकिस्तान से आए अजमल कसाब समेत 10 आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल, ओबेराय होटल और नरीमन हाउस समेत कई जगहों पर हमला करके 166 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी। नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स ने करीब तीन दिनों तक इन आतंकियों से मुकाबला किया और उन्हें ढेर कर दिया। इस हमले में एकमात्र जिंदा बचे आतंकी अजमल कसाब ने हाफिज सईद और आतंकी संगठनों की इस हमले में संलिप्तता को लेकर कई खुलासे किए थे। इस हमले के लिए दोषी अजमल कसाब को फांसी दे दी गई थी।