दिनेश निगम ‘ त्यागी ‘
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में उप चुनाव में कुल मतदान भले कुछ कम हुआ हो, लेकिन कुछ सीटों में मतदान का रिकार्ड भी टूटा है। पांच विधानसभा सीटें आगर मालवा, हाटपिपल्या, बदनावर, सुवासरा तथा ब्यावरा में मतदान 81 से 84 फीसदी तक हुआ। करैरा और पोहरी में मतदान का प्रतिशत क्रमश: 73 एवं 76 फीसदी से ज्यादा रहा लेकिन यहां वोटिंग का रिकार्ड टूटा। अब तक हुए 14 विधानसभा के चुनावों में इन क्षेत्रों में कभी इतना मतदान नहीं हुआ। सबकी नजर ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास समर्थकों गोविंद सिंह राजपूत की सुरखी एवं तुलसी सिलावट की सांवेर सीट पर थी। यहां क्रमश: 73.72 तथा 78 फीसदी मतदान हुआ। साफ है कि मतदाताओं ने कोरोना की परवाह नहीं की और मतदान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। ज्यादा मतदान वाली सीटों में जीत-हार को लेकर अलग-अलग तरह की अटकलों का सिलसिला शुरू हो गया है।
ज्यादा मतदान वाली सीटों में होता रहा बदलाव….
जिन विधानसभा सीटों में 80 फीसदी से ज्यादा या रिकार्ड मतदान हुआ है, आमतौर पर इनके नतीजे एक जैसे नहीं रहे। कभी कांग्रेस जीती तो कभी भाजपा। अलबत्ता, 15 साल का रिकार्ड भाजपा की जीत का ज्यादा रहा। जैसे सर्वाधिक मतदान वाली आगर मालवा 83.75 तथा हाटपिपलिया 83.56 फीसदी का मिजाज अलग – अलग रहा। आगर मालवा में भाजपा ज्यादा जीती तो हाटपिपल्या में नतीजे बदलते रहे। इस बार दोनों पक्ष ज्यादा मतदान को अपने अपने पक्ष में मान रहे हैं। हालांकि दोनों सीटों में इतना कड़ा मुकाबला है कि जीत का ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। आगर में मनोहर ऊटवाल के निधन के कारण उप चुनाव हुआ जबकि हालपिपल्या में विधायक के बागी होने के कारण।
सुवासरा, ब्यावरा, बदनावर का मिजाज अलग….
80 फीसदी से ज्यादा मतदान वाली तीन अन्य सीटों बदनावर 83.48, सुवासरा 82.61 तथा ब्यावरा 81.74 फीसदी का मिजाज अलग-अलग रहा है। सुवासरा और ब्यावरा की गिनती भाजपा के गढ़ के तौर पर होती है तो बदनावर में बाजी पलटती रही है। पिछले चुनाव में इन तीनों सीटों में कांग्रेस जीती थी लेकिन विधायक बगावत कर भाजपा में चले गए। ऐसे में दोनों ओर से मुकाबले में कांग्रेसी ही थे। भाजपा की ओर से कांग्रेस के बागी और कांग्रेस की ओर से कांग्रेसी। इसकी वजह से सही भविष्यवणी करना कठिन हो रहा है। सभी सीटों में कड़ा मुकाबला देखने को मिला।
सांवेर, सुरखी रहीं सबसे चर्चित सीटें….
प्रदेश की दो सीटों सांवेर एवं सुरखी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास तुलसी सिलावट एवं गोविंद सिंह राजपूत मैदान में थे। इसलिए ये सीटें ज्यादा चर्चित रहीं। दोनों सीटों में 70 फीसदी से ज्यादा सांवेर में 78 तथा सुरखी में 73.72 फीसदी मतदान हुआ। दोनों सीटों में बदलाव होता रहा है। कांग्रेस ने भी दोनों सीटों में भाजपा से दलबदल कर आए नेताओं को टिकट दिए। सुरखी में भाजपा से विधायक रहीं पारुल साहू जबकि सांवेर में प्रेमचंद गुड्डू की भाजपा से घरवापसी कराकर कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया। दोनों सीटों में बदलाव होता रहा है और मुकाबला कड़ा है। इसलिए फिलहाल भविष्यवाणी संभव नहीं।
करैरा, पोहरी में मतदान का रिकार्ड टूटा….
ग्वालियर अंचल की करैरा एवं पोहरी सीट के लिए इस बार इतना मतदान हुआ, जितना आज तक के इतिहास में कभी नहीं हुआ। करैरा में 73.68 तथा पोहरी में 76.02 फीसदी वोट पड़े। यह रिकार्ड मतदान किसके पक्ष में जाता है। कुछ नहीं कहा जा सकता। यह ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति सहानुभूति हो सकती है या फिर कांग्रेस से गद्दारी की मतदाताओं द्वारा दी गई सजा, फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। करैरा में भाजपा के जसवंत जाटव का मुकाबला कांग्रेस के प्रागीलाल जाटव से है जबकि पोहरी में भाजपा के सुरेश धाकड़ और कांग्रेस के हरिबल्लभ शुक्ला के बीच टक्कर है।