मध्यप्रदेश के पेंशनरों के लिए दिवाली से पहले सरकार ने महंगाई राहत (डीए) में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है, लेकिन इससे पेंशनर्स के चेहरे पर खुशी कम और नाराजगी ज्यादा नजर आ रही है। पेंशनर्स का कहना है कि राहत भले ही दी गई हो, लेकिन इसका एरियर नहीं दिया जा रहा है और न ही इसे सही तरीके से निर्धारित किया गया है। इस कारण पेंशनरों में रोष है और वे इसे सरकार की ओर से उनके साथ अन्याय मान रहे हैं।
आदेश में बड़ी गलती
वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में भी एक बड़ी त्रुटि सामने आई है। आदेश हिंदी में जारी किया गया है, जिसमें पेंशन में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर 55 प्रतिशत दिखाया गया है, जबकि अंग्रेजी संस्करण में इसे 53 प्रतिशत दर्शाया गया है। इस अंतर को लेकर पेंशनर्स और कर्मचारी संगठन दोनों ने नाराजगी जताई है। यह त्रुटि पेंशनर्स के विश्वास को कमजोर कर रही है और उन्हें यह अहसास करा रही है कि सरकार उनके मामलों में सावधानी नहीं बरत रही है।
पेंशनर्स का आरोप: अन्याय और भेदभाव
पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आमोद सक्सेना ने कहा कि सरकार पेंशनरों के साथ भेदभाव और अन्याय बंद करे। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश के पेंशनरों पर जनवरी 25 के बजाय सितंबर 25 से महंगाई लागू करने का निर्णय लिया गया है, जो उनके अनुसार गलत है और सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
एसोसिएशन के संरक्षक गणेश दत्त जोशी ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की गलत व्याख्या करके पेंशनरों के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर 2000 से पहले के पेंशनरों पर अधिनियम की अनुसूची 6 लागू है, लेकिन यदि सरकार इसे उत्तरवर्ती पेंशनरों पर लागू करती है, तो यह भेदभाव और अन्याय के दायरे में आता है।
डीए एरियर्स की अनदेखी
मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांतीय संयोजक एम.के. सक्सेना ने बताया कि राज्य कर्मचारियों को डीए एरियर्स के साथ दिया गया है, जबकि पेंशनरों को 8 माह का डीए एरियर नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि यह लगातार किया जा रहा है और इसे पेंशनर्स के साथ अन्याय और भेदभाव कहा जा सकता है। इस मामले में लगभग 5 लाख पेंशनर्स प्रभावित हैं और उनमें आक्रोश है।
साथ ही उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि पेंशनर्स को केंद्रीय तिथि के अनुसार 74 प्रतिशत महंगाई राहत का भुगतान किया जाना चाहिए। यह मामला सरकार के लिए महत्वपूर्ण है और इसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता है, ताकि पेंशनर्स का विश्वास कायम रहे और उनके अधिकारों का सही तरीके से पालन हो।