पत्नी और अपना नामांकन रद्द होने पर शायराना अंदाज़ में दिखें जोगी, कहा- ‘कातिल ही मुंसिफ है’

Akanksha
Published on:

रायपुर : मई 2020 में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता अजित जोगी के निधन से खाली हुई मारवाही सीट पर जल्द ही उपचुनाव होना है. हालांकि इससे ठीक पहले जनता कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अमित जोगी और उनकी पत्नी को बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा है कि जाति विवाद के चलते दोनों का ही नामांकन निरस्त कर दिया गया है. वहीं अब इस पर अमित जोगी ने अपनी प्रक्रिया जाहिर की है. अमित जोगी ने कहा कि, कल रातों रात उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने मेरा जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया। इसकी खबर मुझे छोड़ बाक़ी सबको थी! निर्वाचन अधिकारी से मैंने उसे पढ़ने और अपना पक्ष रखने के लिए समय माँगा, वो भी नहीं दिया! मुख्यमंत्री के आदेशानुसार उन्होंने मेरा नामांकन पत्र रद्द कर दिया। उसके बाद, आज 2:30 बजे मेरे घर में छानबीन समिति का आदेश तामील किया गया। कातिल ही मुंसिफ है, क्या मेरे हक में फैसला देगा।।

अमित जोगी ने आगे कहा कि, सबसे बड़ी जनता की अदालत है। मुझे न्याय वही मिलेगा। देश, विधि और संविधान से चलता है, बदलापुर और जोगेरिया से नहीं। वो सोचते हैं कि कुश्ती अकेले लड़ेंगे और खुद ही जीतेंगे। जनता को इतना बेबस और बेवकूफ नहीं समझना चाहिए। चलो सरकार ने माना तो कि “जोगी को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है”। मुख्यमंत्री के इशारे पर मेरा नामांकन खारिज कराना स्वर्गीय अजीत जोगी और मरवाही की जनता का अपमान है। अपनी पूरी ताक़त झोंक देने के बाद बस यही वो हथकंडा था जिससे मुख्यमंत्री चुनाव में दिख रही अपनी निश्चित पराजय को टाल सकते थे।

अमित जोगी ने कहा कि, सरकार भय में है। स्व. अजीत जोगी के जीते जी लगातार उनका अपमान किया, उसके बाद उनके परिवार को राजनीतिक रूप से खत्म करने की साजिश चल रही है। लेकिन जिसके सिर के ऊपर ग़रीबों का हाथ होता है, वो कभी अनाथ नहीं हो सकता। हमारा मरवाही की जनता से आत्मिक और परिवारिक रिश्ता था, है और रहेगा। जोगी मरवाही और मरवाही जोगी के दिल में बसता है। दोनों को एक दूसरे से अलग करना असम्भव है। जिंदगी की आखिरी सांस तक जोगी परिवार मरवाही की जनता की सेवा करते रहेंगे। हम कानून की लड़ाई लड़ेंगे और अपना सम्मान व अधिकार प्राप्त करेंगे। मुझे न्यायपालिका और जनता की अदालत पर पूरा भरोसा है कि हमेशा की तरह जोगी परिवार के साथ न्याय होगा।