सतत पांच घंटे तक चला कवि सम्मेलन। काव्य रस में डूब गये श्रोता। प्रेस क्लब के सभाकक्ष में अ. भा. कवि सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें देश भर से आए नामचीन कवियों ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन के सूत्रधार ख्यात राष्ट्रीय कवि प्रोफेसर राजीव शर्मा इंदौर की इन पंक्तियों पर खूब तालियां बजी — “जो लोग इश्क अपने लक्ष्य से सरे आम करते हैं, चांद और तारे भी झुककर उसे सलाम करते हैं, सूरज अर्घ्य चढ़ाता है उस इंसान को, जो अपना जीवन वतन के नाम करते हैं।
मुंबई से पधारे वाहेगुरू मस्ताना की इन पंक्तियों को खासी दाद मिली -भले ही ज़माने को दिखाने के लिये, बस हौंसला चाहिये मुस्कुराने के लिये, इस ज़माने के सितम का क्या गम करें, इसे तो बस मौका चाहिए रुलाने के लिये। –कोटा के कुंवर जावेद ने मुक्तक पढ़े, जला के पापों को फिर से उसे बसाना पड़ा, तो श्रद्धा आस्था के फूलों से सजाना पड़ा ‘ हमारी माता ने कुछ दिन वहां बिताये थे, तभी तो लंका के पहले श्री लगाना पड़ा।”
शेखर जैन जावरा ने ये पंक्तियां पेश कीं -ज़र्रे ज़र्रे को तलाशो तो खुदा मिलता है, दिल को पाकीज़ा बना लो तो खुदा मिलता है, न वो भगवान का होता है न अल्लाह का घर, जिसकी बुनियाद में सत्ता का नशा होता है। कवयित्री शबाना शबनम रतलाम नें गीत प्रस्तुत किये। मांडव के धीरू शर्मा ने हास्य क्षणिकाओं से गुदगुदाया। इस अवसर पर शैलेंद्र जैन की पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। पिंकी जैन संजय चौरसिया प्रतीक्ष नें स्वागत किया। कवि सम्मेलन का संचालन कवि प्रोफेसर राजीव शर्मा इंदौर ने किया व आभार शाश्वत सम्यक जैन नें माना।