जबलपुर दुष्कर्म मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला, लापरवाही करने वाले अधिकारियों का होगा ट्रांसफर

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Jabalpur: जबलपुर में हुए दुष्कर्म के मामले में डॉक्टर और पुलिस अधिकारियों द्वारा लापरवाही किए जाने का मामला प्रकाश में आया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं.

बता दें कि इन अधिकारियों ने दुष्कर्म करने वाले आरोपी कॉन्स्टेबल को बचाने की कोशिश की है. जिसके चलते इन पर कार्यवाही करने के बात कोर्ट ने कही है. विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी को कोर्ट की ओर से आदेश दिया गया है कि ADGP उमेश जोगा और कैसे जुड़े अन्य अफसरों का ट्रांसफर दूर कर दिया जाए, ताकि जांच पर कोई असर ना हो.

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जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ की ओर से हाई कोर्ट की रजिस्ट्री कोई आदेश भी दिया गया कि डीएनए से जुड़ी जांच रिपोर्ट के साथ दिए गए आदेश की कॉपी एमपी के चीफ सेक्रेट्री के माध्यम से कमेटी को भेजी जाए. घोर लापरवाही का मामला सामने आने के बाद दुष्कर्म के आरोपी पुलिसकर्मी अजय साहू की जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई है.

अपने आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपी एक पुलिसकर्मी है. इसलिए बड़े अधिकारी उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी को बचाने के लिए डीएनए सैंपल में छेड़छाड़ भी की गई है. वहीं पीड़िता के डीएनए सैंपल को भी सुरक्षित नहीं रखा गया है. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है.

बता दें कि छिंदवाड़ा के पुलिस आरक्षक अजय साहू के खिलाफ थाने में दुष्कर्म और एससीएसटी की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. मामला दर्ज किए जाने के बाद 13 नवंबर 2021 को आरक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया. दुष्कर्म के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी. जिसकी वजह से उसका गर्भपात कराया गया और डीएनए सैंपल सुरक्षित नहीं रखा गया. इस तरह की लापरवाही इस मामले में सामने आई है.

वही एडिशनल डीजीपी उमेश जोगा ने 20 अप्रैल को कोर्ट को जो जांच रिपोर्ट सौंपी है, उसमें भी लापरवाही सामने आई है. कोर्ट की ओर से बताया गया कि सिविल सर्जन शिखर सुराना ने गलत जानकारी पहुंचाई है. जिसे देखते हुए कोर्ट ने यह कहा कि ADGP ने बिना जांच किए रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कैसे कर दिए. कोर्ट की ओर से तुरंत ही लापरवाही करने वाले अधिकारियों को अन्य जगह स्थानांतरित करने के आदेश दे दिए गए हैं.